अभिनेता से निर्देशक बने अंशुमान झा ने अपनी पहली फिल्म लार्ड कर्जन की हवेली के ट्रेलर लॉन्च के मौके पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कोलेकर बड़ा और ज़िम्मेदाराना बयान दिया। उन्होंने साफ कहा कि चाहे तकनीक कितनी भी आगे बढ़ जाए, इंसानी जज़्बात और अभिनय की गहराई कोकभी दोहराया नहीं जा सकता। उनका मानना है कि AI केवल तकनीकी सहयोग दे सकता है, लेकिन वह सिनेमा की आत्मा को नहीं छू सकता।
झा ने उदाहरण देते हुए कहा कि डैन छुपुंग और सनी पैन जैसे कलाकारों की शारीरिकता और ऊर्जा को AI से कॉपी नहीं किया जा सकता। यही बातअभिनय पर भी लागू होती है। उन्होंने कहा, “AI कभी भी रसिका दुगल जैसी नहीं हो सकती। एक कलाकार का भाव, उसकी बारीकियाँ, और चरित्र कोनिभाने की संवेदनशीलता केवल इंसानी अनुभव से आती है, मशीन से नहीं।”
उन्होंने स्वीकार किया कि VFX और तकनीकी प्रक्रिया में AI से मदद मिल सकती है, लेकिन कहानी कहने और भावनाएं रचने का कार्य अब भी इंसानोंके ही हाथ में है। उन्होंने पंकज त्रिपाठी की एक बात साझा करते हुए कहा, "लोग जानकारी से नहीं, भावनाओं से जुड़ते हैं।" यह वाक्य सिनेमा कीआत्मा को बहुत सरलता और प्रभाव से परिभाषित करता है।
‘लार्ड कर्जन की हवेली’ एक ब्लैक कॉमेडी थ्रिलर है, जिसमें मानवीय जटिलताओं, रिश्तों और नैतिक दुविधाओं को डार्क ह्यूमर के साथ दिखाया गयाहै। झा की इस फिल्म और उनके विचारों से यह स्पष्ट है कि वे न सिर्फ एक फिल्मकार के रूप में उभर रहे हैं, बल्कि एक ऐसे कलाकार के रूप में भी, जो मानते हैं कि सिनेमा का असली जादू तकनीक में नहीं, बल्कि इंसान की संवेदना में छिपा होता है।