अहमदाबाद में 12 जून 2024 को हुए एयर इंडिया विमान दुर्घटना ने पूरे देश और विश्व को झकझोर कर रख दिया था। इस दर्दनाक हादसे में विमान क्रू मेंबर और यात्रियों समेत लगभग सभी की जान चली गई थी। इस विमान दुर्घटना में मात्र एक व्यक्ति ही बच पाया था, जिसने इस हादसे की भयावहता को बयां किया। इस दुर्घटना ने भारतीय नागरिक उड्डयन व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए थे और पूरे देश में हवाई सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी थी।
विमान हादसे के बाद बढ़ी निगरानी
इस हादसे के बाद केंद्र सरकार ने विमान सुरक्षा के मानकों को कड़ा करने का फैसला किया। विशेषकर दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े एयरपोर्ट पर डीजीसीए (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) की निगरानी बढ़ाई गई। हालांकि जांच में पता चला कि इन हवाई अड्डों पर सुरक्षा व्यवस्था में कई खामियां और कमियां अब भी विद्यमान थीं, जो विमान दुर्घटना का कारण बन सकती थीं।
इस स्थिति को देखते हुए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने नई रणनीति अपनाई है। मंत्रालय ने घोषणा की है कि डीजीसीए की दो विशेष टीमें गठित की जाएंगी, जो दिल्ली, मुंबई समेत देश के अन्य प्रमुख हवाई अड्डों पर चौबीसों घंटे नजर रखेंगे। इन टीमों का काम केवल निरीक्षण ही नहीं बल्कि उड़ान संचालन, विमान की उड़ान योग्यता, रैंप सुरक्षा, एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल), संचार, नेविगेशन और निगरानी प्रणालियों का भी मूल्यांकन करना होगा। इसके अलावा उड़ान से पहले होने वाली पूर्व चिकित्सा जांच पर भी टीम नजर रखेगी।
मंत्रालय का फोकस: क्या-क्या होगा मूल्यांकन?
इन टीमों का काम सिर्फ निरीक्षण तक सीमित नहीं होगा, बल्कि वे विमान संचालन के सभी पहलुओं की गहन समीक्षा करेंगी। इनमें शामिल हैं:
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उड़ान संचालन (Flight Operations): विमान की सुरक्षा और उड़ान की तैयारी।
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उड़ान योग्यता (Airworthiness): विमान का तकनीकी और मैकेनिकल फिटनेस।
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रैंप सुरक्षा (Ramp Safety): विमान के आस-पास की गतिविधियों की सुरक्षा।
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एटीसी, संचार और नेविगेशन प्रणाली: एयर ट्रैफिक कंट्रोल और विमान से जुड़े तकनीकी उपकरणों की स्थिति।
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पूर्व चिकित्सा जांच: उड़ान से पहले यात्रियों और चालक दल की स्वास्थ्य जांच।
पहले की निगरानी के दौरान भी कई कमियां सामने आई थीं, जिन्हें ठीक करने के लिए मंत्रालय ने कार्ययोजना बनाई थी, लेकिन कई जगह सुधार अब तक अधूरे पड़े थे।
जांच में सामने आई गंभीर कमियां
निगरानी टीमों ने कई ऐसी समस्याएं खोज निकालीं जो पहले से जानी-पहचानी थीं, लेकिन सुधारी नहीं गई थीं। इनमें प्रमुख थे:
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बार-बार एक जैसी तकनीकी समस्याएं: विमान में एक ही प्रकार की खराबी बार-बार सामने आ रही थी, फिर भी उसे ठीक नहीं किया गया।
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ग्राउंड हैंडलिंग उपकरणों की खराबी: बैगेज ट्रॉली और बीएफएल (ब्रेकेज फ्यूल लोडिंग) उपकरण अनुपयोगी पाए गए।
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विमान रखरखाव की अनियमितताएं: कई बार आवश्यक सुरक्षा प्रक्रियाएं पूरी नहीं की गईं। थ्रस्ट रिवर्सर सिस्टम और फ्लैट स्लैट लीवर लॉक नहीं थे।
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तकनीकी लॉगबुक की कमी: तकनीकी समस्याओं का रिकॉर्ड सही ढंग से नहीं रखा गया।
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लाइफ जैकेट्स का सही सेट न होना: सीट के नीचे रखी गई लाइफ जैकेट्स व्यवस्थित नहीं थीं।
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डैमेज्ड जंग-रोधी टेप: विमान के विंगलेट के नीचे जंग-रोधी टेप खराब मिली।
रनवे की स्थिति भी चिंता का विषय
निगरानी रिपोर्ट के अनुसार, हवाई अड्डों के रनवे भी खस्ताहाल हालत में पाए गए। रनवे की सेंट्रल लाइन मार्किंग फीकी थी, जो पायलटों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है। रैपिड एग्जिट टैक्सीवे (तेज निकासी मार्ग) की लाइटें एक तरफ काम नहीं कर रही थीं। इसके अलावा ग्रीन सेंटर लाइट्स भी खराब पाई गईं। ये सभी बातें हवाई सुरक्षा के लिहाज से गंभीर खतरा हैं।
सुधार के लिए उठाए गए कदम
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इन कमियों को गंभीरता से लिया है और डीजीसीए को निर्देश दिए हैं कि वह तुरंत प्रभाव से आवश्यक सुधार करें। नए गठित निरीक्षण दल लगातार हवाई अड्डों पर निगरानी रखेंगे और हर अनियमितता पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही तकनीकी स्टाफ को और प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि रखरखाव और सुरक्षा मानकों का पालन पूरी शिद्दत से हो।
आगे की राह
यह हादसा देश की हवाई सुरक्षा को मजबूत करने का एक अल्टीमेटम साबित हुआ है। यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए और इसे सुनिश्चित करने के लिए किसी भी कसर को नहीं छोड़ा जाना चाहिए। डीजीसीए की नई टीमें और मंत्रालय की सक्रिय निगरानी से उम्मीद है कि आने वाले समय में ऐसे हादसों की संभावना न्यूनतम हो जाएगी।
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे तकनीकी और मानवीय दोनों प्रकार की कमजोरियों को दूर करें और हवाई यात्रा को सुरक्षित बनाएं। इसी के साथ यात्रियों का विश्वास भी बना रहेगा और देश के हवाई मार्गों की प्रतिष्ठा भी सुधरेगी।
निष्कर्ष
अहमदाबाद एयर इंडिया क्रैश ने देश को एक कड़ा संदेश दिया कि हवाई सुरक्षा में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती। DGCA की कड़ी निगरानी, नई निरीक्षण टीमें और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सक्रिय कदमों से भारतीय विमानन क्षेत्र को बेहतर बनाया जा सकता है।
आशा है कि भविष्य में कोई भी हादसा इस प्रकार न हो और यात्रियों को सुरक्षित, भरोसेमंद और बेहतर हवाई सेवा उपलब्ध हो।