<p>डायबिटीज यानी मधुमेह अब केवल एक बीमारी नहीं, बल्कि एक वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल बन चुकी है। विशेष रूप से भारत जैसे विकासशील देशों के लिए यह एक गंभीर चुनौती है। हाल ही में जारी इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (IDF) डायबिटीज एटलस (2025) के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह 'साइलेंट किलर' कितनी तेजी से अपने पैर पसार रहा है।</p> <h2>डायबिटीज का वैश्विक और भारतीय परिदृश्य</h2> <p>दुनियाभर में इस समय करीब 589 मिलियन (58.9 करोड़) लोग डायबिटीज के साथ जी रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 20-79 वर्ष की आयु वर्ग में हर 9 में से एक व्यक्ति इस बीमारी की चपेट में है। भारत की स्थिति और भी चिंताजनक है; पिछले 25 वर्षों में यहाँ डायबिटीज के मामले लगभग 3 गुना बढ़ गए हैं। वर्तमान में भारत दुनिया में सबसे अधिक डायबिटीज मरीजों वाले देशों की सूची में दूसरे स्थान पर है।</p> <h3>डरावने आंकड़े: हर 9 सेकंड में एक मौत</h3> <p>साल 2024 डायबिटीज के इतिहास में सबसे घातक वर्षों में से एक रहा। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल दुनियाभर में 34 लाख लोगों की मौत का कारण मधुमेह बना। इसका मतलब है कि हर 9 सेकंड में एक व्यक्ति इस बीमारी की वजह से अपनी जान गंवा रहा है। यह हृदय रोगों और किडनी फेलियर जैसी गंभीर जटिलताओं का मुख्य कारण बनकर उभर रहा है।</p> <h3>भविष्य की भयावह तस्वीर (2050 तक का अनुमान)</h3> <p>IDF का अनुमान है कि यदि जीवनशैली और खान-पान में सुधार नहीं हुआ, तो 2050 तक डायबिटीज मरीजों की संख्या बढ़कर 853 मिलियन (85.3 करोड़) तक पहुँच जाएगी।</p> <h2>क्षेत्रवार प्रभाव और आर्थिक बोझ</h2> <p>वैश्विक स्तर पर डायबिटीज का प्रसार असमान है, जिसमें एशिया सबसे अधिक प्रभावित है:</p> <ul> <li> <p>पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र: चीन समेत 37 देशों वाले इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा 215 मिलियन मरीज हैं।</p> </li> <li> <p>दक्षिण-पूर्वी एशिया: भारत समेत 7 देशों वाले इस क्षेत्र में 107 मिलियन लोग मधुमेह से पीड़ित हैं।</p> </li> </ul> <h3>अर्थव्यवस्था पर असर</h3> <p>डायबिटीज न केवल स्वास्थ्य बल्कि अर्थव्यवस्था को भी खोखला कर रही है। पिछले साल इस बीमारी के प्रबंधन और इलाज पर लगभग एक ट्रिलियन डॉलर खर्च किए गए। पिछले 17 वर्षों में स्वास्थ्य देखभाल खर्च में 338% की भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो देशों के बजट पर भारी दबाव डाल रही है।</p> <hr /> <h2>क्यों बढ़ रही है यह बीमारी?</h2> <p>विशेषज्ञों के अनुसार, भारत और दुनिया में डायबिटीज बढ़ने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:</p> <ol start="1"> <li> <p>गतिहीन जीवनशैली: शारीरिक सक्रियता में कमी और घंटों एक जगह बैठकर काम करना।</p> </li> <li> <p>गलत खान-पान: जंक फूड, अत्यधिक चीनी और रिफाइंड कार्ब्स का सेवन।</p> </li> <li> <p>मोटापा और तनाव: बढ़ता वजन और मानसिक तनाव इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ाते हैं।</p> </li> <li> <p>जागरूकता का अभाव: बड़ी संख्या में लोगों को यह पता ही नहीं होता कि वे प्री-डायबिटिक हैं।</p> </li> </ol>