मुंबई, 03 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने बताया कि 29 अगस्त से 2 सितंबर तक चले मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान आजाद मैदान और आसपास के इलाकों से 125 मीट्रिक टन से अधिक कचरा निकाला गया। इस दौरान पांच दिनों तक 466 सफाईकर्मी लगातार तैनात रहे। आंकड़ों के अनुसार आंदोलन के पहले दिन 29 अगस्त को 4 टन कचरा निकला, 30 अगस्त को 7 टन, 31 अगस्त और 1 सितंबर को 30-30 टन कचरा जमा हुआ, जबकि 2 सितंबर को सबसे ज्यादा 57 टन कचरा इकट्ठा हुआ। इस बीच बॉम्बे हाईकोर्ट ने आंदोलन के नेता मनोज जरांगे से सवाल किया कि प्रदर्शनकारियों पर मुंबई में सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने का आरोप है, इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। जरांगे के वकील सतीश मानेशिंदे ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पुरानी तस्वीरों के आधार पर गलतफहमी फैलाई जा रही है। अदालत ने निर्देश दिया कि आठ हफ्ते के भीतर हलफनामा दायर किया जाए जिसमें लिखा हो कि जरांगे और आयोजक किसी भी नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
मनोज जरांगे ने 29 अगस्त को आजाद मैदान में आमरण अनशन शुरू किया था, जो 2 सितंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद खत्म हुआ। अनशन खत्म करते हुए उन्होंने कहा कि आंदोलन सफल रहा है क्योंकि सरकार ने उनकी मांगें मान ली हैं। महाराष्ट्र सरकार ने जरांगे की आठ में से छह मांगों को मंजूरी दी है। इनमें हैदराबाद गैजेटियर को मान्यता देना भी शामिल है, जिसके तहत मराठा समुदाय के लोगों को कुणबी जाति का प्रमाणपत्र दिया जाएगा। सरकार ने आदेश लागू करने के लिए दो महीने का समय मांगा है और अन्य दस्तावेजों का 15 दिन में कानूनी अध्ययन करने का आश्वासन दिया है। आंदोलन में जान गंवाने वालों के परिवारों को आर्थिक मदद और राज्य परिवहन निगम में नौकरी देने का भी वादा किया गया है। धरना स्थल पर बड़ी संख्या में जुटे प्रदर्शनकारी आजाद मैदान और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) के आसपास डेरा डाले रहे। वे सड़कों और फुटपाथों पर खाना बनाते, खाते, सोते और नहाते देखे गए। इसके कारण इलाके में भारी मात्रा में कूड़ा-कचरा जमा हो गया जिसमें खाने-पीने की बची चीजें, पानी की बोतलें, रैपर, पेपर प्लेट और कप शामिल थे।