मुंबई, 02 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। बिहार के दरभंगा में 27 अगस्त को राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया था। घटना के सातवें दिन मंगलवार को पीएम मोदी ने इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के मंच से मेरी मां को गालियां दी गईं। यह केवल मेरी मां का नहीं, बल्कि पूरे देश की मां, बहन और बेटियों का अपमान है। दिल्ली से वर्चुअल संबोधन के जरिए बिहार की जनता से जुड़ते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस घटना से जो पीड़ा मेरे दिल में है, वही दर्द बिहार के लोगों के दिल में भी है। मैं यह दुख आपके साथ साझा कर रहा हूं ताकि इस पीड़ा को सह सकूं। पीएम मोदी बिहार राज्य जीविका निधि शाखा सहकारी संघ लिमिटेड के शुभारंभ कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं गरीब परिवार से हूं और हर दिन समाज व देश की सेवा में समर्पित रहा हूं। इसमें मेरी मां का बड़ा योगदान रहा, उन्होंने मुझे देश सेवा के लिए मुक्त कर दिया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मां का स्थान देवताओं से भी ऊंचा माना जाता है और बिहार के संस्कार भी यही बताते हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि नामदार लोग, जो सोने-चांदी के चम्मच लेकर पैदा हुए हैं, वे इस पीड़ा को कभी नहीं समझ सकते। कभी मुझे गंदी नाली का कीड़ा, कभी जहर वाला सांप कहा गया। अब मेरी मां, जिनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था, उनके खिलाफ इस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया। पीएम मोदी ने कहा कि कुछ ही दिनों में नवरात्रि और छठ महापर्व आने वाला है। भारत की संस्कृति ने मां के अपमान को कभी बर्दाश्त नहीं किया है। मैं बिहार के बेटों से कहना चाहता हूं कि इस अपमान का जवाब देना हर किसी की जिम्मेदारी है। जहां भी आरजेडी और कांग्रेस के नेता जाएंगे, वहां जनता को उन्हें इस अपमान की याद दिलानी चाहिए।
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने जीविका संस्था के बैंक खातों में 105 करोड़ रुपये की राशि भी ट्रांसफर की। इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य सरकार महिला सशक्तीकरण के लिए लगातार काम कर रही है। जीविका निधि का शुभारंभ इसी दिशा में बड़ा कदम है। इसके लिए राज्य सरकार ने 1000 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं, जिसमें से 105 करोड़ रुपये की राशि जीविका दीदियों के खाते में भेज दी गई है। नीतीश ने कहा कि 2005 से ही महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए पहल की गई है, 2013 में पुलिस में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया गया और 2006 में विश्व बैंक से लोन लेकर स्वयं सहायता समूह की शुरुआत की गई, जिसे जीविका नाम दिया गया।