मुंबई, 8 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) बदलते दौर में टेक्नोलॉजी हर क्षेत्र में अपनी जगह बना रही है, और अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कॉल सेंटर इंडस्ट्री में भी क्रांति ला रहा है। कभी कॉल सेंटर एजेंट का काम फोन पर कस्टमर की समस्याओं को सुनना और हल करना होता था, जिसमें घंटों डेटा दर्ज करना और मैनुअल काम करना शामिल था। लेकिन अब, AI की मदद से यह काम बहुत आसान हो गया है। एक तरफ जहां AI ने इंडस्ट्री में नई संभावनाएं पैदा की हैं, वहीं दूसरी तरफ यह सवाल भी उठ खड़ा हुआ है कि क्या यह इंसानों की नौकरी छीन लेगा?
AI के फायदे: दक्षता और गति
AI-संचालित सिस्टम अब ग्राहकों की जानकारी को तुरंत एजेंट के सामने ला देते हैं, जिससे उन्हें समस्या को पहले ही समझने में मदद मिलती है। इससे कॉल का समय कम होता है और ग्राहक संतुष्टि बढ़ती है। AI बॉट और वर्चुअल एजेंट सामान्य और बार-बार आने वाली समस्याओं को संभाल लेते हैं, जैसे कि बिल का भुगतान या सामान्य जानकारी देना। इससे इंसानी एजेंटों को उन कामों पर ध्यान केंद्रित करने का मौका मिलता है, जिनमें ज्यादा सोच-समझ या मानवीय संवेदना की जरूरत होती है।
एक प्रमुख उदाहरण स्वीडिश कंपनी क्लार्ना (Klarna) का है, जिसने 2024 में अपने 700 एजेंटों को AI बॉट से बदल दिया था। हालांकि, कंपनी ने पाया कि पहचान की चोरी जैसे संवेदनशील और जटिल मामलों को हल करने के लिए अभी भी कुशल इंसानों की जरूरत है। यह दिखाता है कि AI और इंसान एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हैं।
मानवीय स्पर्श का महत्व
आज भी, कई ग्राहक जटिल समस्याओं या भावनात्मक रूप से संवेदनशील मुद्दों के लिए किसी इंसान से बात करना पसंद करते हैं। AI कितनी भी उन्नत क्यों न हो जाए, वह मानवीय सहानुभूति और भावनाओं को पूरी तरह से नहीं समझ सकता। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में कॉल सेंटर एक हाइब्रिड मॉडल पर काम करेंगे, जहां AI और इंसान मिलकर काम करेंगे। AI सामान्य कार्य संभालेगा, जबकि इंसान अधिक जटिल, रचनात्मक और भावनात्मक रूप से भरी हुई बातचीत को संभालेंगे।
इसका मतलब यह नहीं कि नौकरी का संकट आएगा, बल्कि यह है कि एजेंटों की भूमिका बदल जाएगी। उन्हें तकनीकी और मानवीय कौशल दोनों में प्रशिक्षित होने की आवश्यकता होगी। कॉल सेंटर अब केवल "ब्रेक/फिक्स" समस्याओं को हल करने का केंद्र नहीं रहेंगे, बल्कि वे मानवीय बातचीत और समाधान का केंद्र बनेंगे।