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Israel-Iran में फंसे 36000 भारतीय, जानें कैसी है उनकी हालत, सुरक्षा के लिए क्या किए गए इंतजाम?

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Posted On:Monday, June 16, 2025

इजरायल और ईरान के बीच हाल ही में छिड़ी जंग के बीच लगभग 36,000 भारतीय नागरिक फंसे हुए हैं, जिनकी सुरक्षा और वापसी को लेकर परिवार और भारत सरकार गंभीर चिंता में हैं। यह तनावपूर्ण स्थिति दक्षिण-पश्चिम एशिया में बढ़ते सैन्य संघर्ष और राजनीतिक अस्थिरता के कारण उत्पन्न हुई है, जिसने भारतीय समुदाय को भी प्रभावित किया है।

भारतीयों की संख्या और स्थिति

ईरान में लगभग 4,000 भारतीय नागरिक रहते हैं, जिनमें से लगभग 1,500 स्टूडेंट्स हैं। खास बात यह है कि इनमें से लगभग 1,300 कश्मीरी मूल के छात्र हैं। दूसरी ओर, इजरायल में करीब 32,000 भारतीय फंसे हुए हैं, जिनमें कई छात्र भी शामिल हैं। दोनों देशों में फंसे भारतीयों की सुरक्षा को लेकर उनके परिवार अत्यंत चिंतित हैं और स्थिति के बिगड़ने के साथ ही उनकी सुरक्षा व भारत वापसी की मांग तेज हो गई है।

भारत सरकार की कोशिशें

स्थिति को देखते हुए भारत सरकार ने भारतीयों को सुरक्षित निकालने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। जानकारी मिली है कि भारत सरकार ईरान से भारतीयों को आर्मेनिया के रास्ते सुरक्षित निकालकर देश लाने पर विचार कर रही है। भारतीय दूतावास ने भी इस संबंध में देश वापसी के इच्छुक लोगों से संपर्क कर रजिस्ट्रेशन करवाने की अपील की है, ताकि उनकी संख्या और लोकेशन की सही जानकारी रखी जा सके और आवश्यक मदद तुरंत पहुंचाई जा सके।

ईरान सरकार का रुख और भारतीय दूतावास की भूमिका

ईरान के विदेश मंत्रालय ने भी भारतीयों की सुरक्षा के संबंध में अहम बयान जारी किया है। उन्होंने बताया है कि तेहरान में भारतीय दूतावास लगातार भारतीय नागरिकों और छात्रों की सुरक्षा पर नजर रख रहा है। दूतावास जरूरत पड़ने पर भारतीयों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित भी कर रहा है। इसके अलावा, भारतीयों को गैर-जरूरी मूवमेंट न करने और दूतावास के संपर्क में रहने की सलाह दी गई है।

इंडियन एंबेसी ने ईरान में रहने वाले भारतीयों के लिए एडवाइजरी भी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि वे सोशल मीडिया के माध्यम से जारी किए जाने वाले अपडेट्स को नियमित देखें और इमरजेंसी कॉन्टैक्ट नंबरों को अपने पास रखें। हालांकि, ईरान में इंटरनेट स्लो होने और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध के कारण जानकारी का संचार सीमित है।

ईरान में फंसे भारतीयों की स्थिति

फंसे भारतीयों का कहना है कि फिलहाल सिविलियन इलाके सुरक्षित हैं, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से उन्हें बंकरों और बेसमेंट में रहना पड़ रहा है। रोजमर्रा की जिंदगी पर असर पड़ा है, लेकिन लोग जरूरी काम कर रहे हैं। कई भारतीयों ने बताया है कि उन्होंने भारतीय दूतावास में जाकर अपने आप को रजिस्टर कराया है ताकि उनकी मदद की जा सके। वे अपनी सुरक्षित वापसी की उम्मीद लगाए हुए हैं।

परिवारों की चिंता और सरकार से मांगें

भारत में फंसे भारतीयों के परिवार अत्यंत चिंतित हैं। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील कर रहे हैं कि यूक्रेन से भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने की तरह ही ईरान और इजरायल से भी भारतीयों को निकाला जाए। परिवारों का कहना है कि इस संघर्ष के बीच भारतीय सुरक्षित नहीं हैं, मिसाइल हमले और सुरक्षा खतरे बढ़ रहे हैं। फोन नेटवर्क बाधित होने से संपर्क भी मुश्किल हो गया है। वे चाहते हैं कि सरकार तत्काल प्रभाव से कदम उठाकर उनके परिजनों को सुरक्षित देश वापस लाए।

क्षेत्रीय तनाव और भविष्य की स्थिति

इजरायल-ईरान के बीच चल रहे संघर्ष में पिछले कुछ दिनों में कई बार मिसाइल हमलों और जवाबी हमलों की खबरें आई हैं। दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है और शांति वार्ता की कोई संभावना फिलहाल नजर नहीं आ रही। इस कारण क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता पर संकट मंडरा रहा है, जो वहां फंसे भारतीयों के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

भारत सरकार की कूटनीतिक और सैन्य रणनीति इस समय काफी सक्रिय है ताकि भारतीय नागरिकों की जान को बचाया जा सके। विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास निरंतर स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित कर रहे हैं। साथ ही, भारतीय समुदाय से भी सतर्क रहने और दूतावास के निर्देशों का पालन करने को कहा गया है।

निष्कर्ष

इजरायल-ईरान जंग में फंसे हजारों भारतीयों की सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा बन गया है। इस संकट के बीच भारत सरकार ने देशवासियों की सुरक्षित वापसी के लिए कूटनीतिक और व्यावहारिक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। भारतीय दूतावास की लगातार निगरानी और स्थानीय प्रशासन से सहयोग की बदौलत कई भारतीय फिलहाल सुरक्षित हैं, लेकिन तनाव के बीच इस स्थिति का समाधान जल्द से जल्द निकलना जरूरी है।

परिवारों की चिंता और देश की जिम्मेदारी के बीच एक संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण है। उम्मीद की जाती है कि जल्द ही सभी भारतीय सुरक्षित अपने घरों को लौट सकेंगे और इस कठिन दौर से बाहर निकल पाएंगे। इस संकट ने यह भी याद दिलाया है कि वैश्विक अस्थिरता के बीच भारत को अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए सतर्क रहना और तैयार रहना कितना जरूरी है।


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