मुंबई, 25 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। अमेरिका की रक्षा खुफिया एजेंसी (डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी - DIA) की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान अपने अस्तित्व को भारत से खतरे के रूप में देखता है, और इसी कारण वह अपनी परमाणु क्षमता को आधुनिक बनाने और सैन्य शक्ति बढ़ाने के लिए चीन से आर्थिक और सामरिक मदद ले रहा है। दूसरी ओर भारत, पाकिस्तान को केवल एक सीमित सुरक्षा चुनौती मानता है और अपनी सैन्य तैयारियों का मुख्य केंद्र चीन को मानता है। ‘वर्ल्ड थ्रेट असेसमेंट 2025’ नामक इस रिपोर्ट को DIA के डायरेक्टर लेफ्टिनेंट जनरल जेफ्री क्रूस ने तैयार किया है। यह रिपोर्ट वैश्विक खतरों का विश्लेषण कर अमेरिका की विदेश और सुरक्षा नीति की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की रक्षा नीति का फोकस चीन से मिलने वाली चुनौती का जवाब देना है और वह अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने में जुटा हुआ है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत और चीन के बीच 2020 में लद्दाख में हुई झड़पों के बाद भले ही तनाव में कुछ कमी आई हो, लेकिन सीमा विवाद अब भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। चीन की नौसेना, मिसाइल शक्ति, साइबर और अंतरिक्ष क्षमताएं भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं। इसके साथ ही चीन का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) और पाकिस्तान के साथ चल रही CPEC परियोजना भारत के रणनीतिक प्रभाव को चुनौती देती है।
भारत अपनी सैन्य तैयारियों को तेज करते हुए लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर सैनिकों की तैनाती और नौसेना विस्तार जैसे कदम उठा रहा है। इसके साथ ही वह अमेरिका और क्वाड जैसे देशों के साथ सैन्य साझेदारी को भी मजबूत कर रहा है। भारत 'मेक इन इंडिया' पहल के माध्यम से स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दे रहा है और हाल के वर्षों में अग्नि-I प्राइम और अग्नि-V जैसी मिसाइलों का सफल परीक्षण कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर चुका है। नई परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती भी इसी दिशा में उठाया गया कदम है। हालांकि भारत अब भी हथियारों के मामले में रूस पर काफी हद तक निर्भर है। रूसी मूल के टैंक T-90, लड़ाकू विमान Su-30 MKI और MiG-29 जैसे प्लेटफॉर्म के रखरखाव और स्पेयर पार्ट्स के लिए भारत रूस से सहयोग बनाए हुए है। हालांकि नए सौदों की संख्या में कमी आई है।
वहीं, पाकिस्तान को रिपोर्ट में एक अस्थिर और रणनीतिक रूप से कमजोर देश बताया गया है जो भारत को अपने लिए बड़ा खतरा मानता है और अपनी सैन्य तैयारियों के लिए चीन पर निर्भर करता है। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान चीन, हांगकांग, तुर्की, सिंगापुर और यूएई से परमाणु हथियारों के लिए तकनीक और सामग्री प्राप्त करता है। DIA ने पाकिस्तान के परमाणु आधुनिकीकरण को दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा बताया है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पाकिस्तान को अंदरूनी चुनौतियों जैसे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और बलोच विद्रोहियों से भी जूझना पड़ रहा है। 2024 में आतंकी हमलों में 2,500 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। पाकिस्तानी सेना फिलहाल आतंकी गतिविधियों से निपटने, सीमाओं की रक्षा करने और परमाणु हथियारों के उन्नयन पर ध्यान केंद्रित कर रही है। चीन को रिपोर्ट में सबसे बड़ा वैश्विक सैन्य और साइबर खतरा बताया गया है। चीन की मंशा ताइवान पर कब्जा करने की है और उसकी सैन्य शक्ति इतनी बढ़ चुकी है कि वह अमेरिका के क्षेत्रों तक को निशाना बना सकता है। चीन भारत के खिलाफ पाकिस्तान को एक रणनीतिक साझेदार के रूप में देखता है और उसे सैन्य और आर्थिक समर्थन देता है। इसके अलावा चीन की अंतरिक्ष और साइबर क्षमताओं को भी भारत और अमेरिका के लिए खतरा माना गया है।