पटना/नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एनडीए गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद अब सरकार गठन और मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। हालांकि, बीजेपी, जेडीयू और लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के बीच अधिकांश मंत्रालयों का बंटवारा लगभग तय हो चुका है, लेकिन राज्य के 'पावर सेंटर' माने जाने वाले गृह मंत्रालय पर बड़ा पेंच फंसा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, इस एक विभाग पर सहमति न बन पाने के कारण एनडीए गठबंधन किसी अंतिम नतीजे पर नहीं पहुंच सका है।
नई दिल्ली में मंत्रिमंडल के स्वरूप और सत्ता साझेदारी की रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए जेडीयू के शीर्ष नेता लल्लन सिंह और संजय झा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ लगभग तीन घंटे लंबी बैठक की। इस मैराथन बैठक में विधानसभा अध्यक्ष पद से लेकर प्रमुख मंत्रालयों के वितरण और दोनों दलों की शक्ति-संरचना पर विस्तृत चर्चा हुई।
गृह मंत्रालय: नीतीश कुमार की राजनीतिक पकड़ का 'कोर सेंटर'
एनडीए गठबंधन के समीकरण को फंसाने वाला मुख्य बिंदु गृह मंत्रालय है। बीजेपी इस बार सत्ता संतुलन को निर्णायक रूप से अपने पक्ष में करने के मूड में है। पार्टी गृह मंत्रालय के साथ-साथ शिक्षा विभाग को भी अपने पास रखना चाहती है, और इसके बदले वह स्वास्थ्य और वित्त जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय जेडीयू के लिए छोड़ने को भी तैयार है।
हालांकि, यह मांग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीतिक ताकत के मूल को चुनौती देती है। 2005 में सत्ता संभालने के बाद से, नीतीश कुमार ने हमेशा गृह विभाग को अपने नियंत्रण में रखा है। यह मंत्रालय कानून-व्यवस्था, पुलिस तंत्र और प्रशासनिक पकड़ का आधार होता है। यही कारण है कि सूत्र बताते हैं कि नीतीश कुमार इसे छोड़ने के मूड में बिल्कुल नहीं हैं। बीजेपी का तर्क है कि बदलते राजनीतिक समीकरणों में उसे 'अधिक प्रभावी' मंत्रालयों की आवश्यकता है, लेकिन गृह मंत्रालय पर जेडीयू की पकड़ ही बातचीत में सबसे कठिन चुनौती बनी हुई है।
विधानसभा अध्यक्ष पद पर सहमति बनी
एक लंबी खींचतान के बाद, विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर सहमति बन गई है। यह पद बीजेपी के खाते में गया है, जबकि उपाध्यक्ष का पद जेडीयू को मिलेगा। इस सहमति के बाद दोनों दलों के बीच रणनीतिक बातचीत आगे बढ़ी है और अब सारा फोकस प्रमुख मंत्रालयों के वितरण पर टिक गया है।
संभावित मंत्रालयों का बंटवारा
सूत्रों के अनुसार, बाकी प्रमुख मंत्रालयों का वितरण मोटे तौर पर तय माना जा रहा है:
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बीजेपी के खाते में संभावित विभाग: राजस्व, सहकारिता, पशु एवं मत्स्य संसाधन, विधि, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण, उद्योग, पर्यटन और पथ निर्माण। इसके साथ ही, बीजेपी गृह मंत्रालय और शिक्षा विभाग पर जोर दे रही है।
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जेडीयू के खाते में संभावित विभाग: कृषि, खान एवं भूतत्व, जल संसाधन, संसदीय कार्य, ऊर्जा, योजना एवं विकास, विज्ञान एवं प्रावैधिकी, तकनीकी शिक्षा, ग्रामीण विकास, ग्रामीण कार्य, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण, और समाज कल्याण। जेडीयू का प्रयास गृह मंत्रालय के साथ प्रशासनिक ढांचे के बड़े हिस्से को अपने नियंत्रण में बनाए रखना है।
दोनों दलों के बीच मंत्रालयों की हिस्सेदारी लगभग तय होने के बावजूद, सारा ध्यान अब केवल गृह मंत्रालय पर केंद्रित है। नीतीश कुमार की प्रशासनिक पकड़ और बीजेपी की बढ़ती राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के बीच यह मंत्रालय 'फाइनल डील' की कुंजी बन गया है। सूत्रों का कहना है कि आज देर रात एक और निर्णायक बैठक होने की संभावना है, जिसमें सरकार के संपूर्ण स्वरूप और विभागों के बंटवारे की अंतिम तस्वीर सामने आ सकती है।