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Battlefield Tourism क्या होता है? देशभक्ति और इतिहास के बारे में बढ़ेगी जागरूकता

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Posted On:Saturday, July 26, 2025

साल 1947 में भारत-पाकिस्तान के बीच पहली जंग हो या फिर 1999 की कारगिल वॉर, भारतीय जवानों ने हमेशा अपने प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा की है। उनकी बहादुरी, साहस और देशभक्ति की मिसालें आज भी इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हैं। अब, देश के इन वीर जवानों की शहादत और देशभक्ति के जज्बे को सलाम करते हुए भारत सरकार ने एक नई पहल की है, जिसे बैटलफील्ड टूरिज्म (Battlefield Tourism) कहा जाता है।

बैटलफील्ड टूरिज्म: एक नई पहल

जनवरी 2025 में केंद्र सरकार ने देश के 30 ऐतिहासिक युद्ध स्थलों को पर्यटन के लिए खोलने की योजना की घोषणा की। इसका मकसद न केवल देश के वीर जवानों को सम्मान देना है, बल्कि युवाओं में देशभक्ति की भावना और देश के सैन्य इतिहास के प्रति जागरूकता भी बढ़ाना है। इस योजना के तहत सितंबर 2025 में सिक्किम के दो महत्वपूर्ण स्थल—डोकलाम और चो ला—पर पर्यटकों के लिए प्रवेश खोलने की तैयारी की जा रही है।

बैटलफील्ड टूरिज्म एक अनूठी पहल है जिसमें देश के उन क्षेत्रों को विकसित किया जाएगा, जहां ऐतिहासिक युद्ध हुए हैं या जो रणनीतिक महत्व रखते हैं। यह न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि देश के सैन्य इतिहास को समझने और सम्मानित करने का भी एक माध्यम बनेगा।

डोकलाम और चो ला की रणनीतिक और ऐतिहासिक अहमियत

डोकलाम भारत, भूटान और चीन की सीमा पर स्थित एक विवादित क्षेत्र है, जो अपनी भौगोलिक स्थिति और रणनीतिक महत्व के कारण हमेशा चर्चा में रहता है। 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान डोकलाम की महत्ता सामने आई थी। इसके बाद 2017 में चीन द्वारा सड़क निर्माण को लेकर भारत-चीन विवाद के कारण यह जगह फिर से सुर्खियों में आई।

चो ला पास भी सिक्किम में एक रणनीतिक स्थल है, जो भारत की सीमाओं की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दोनों स्थलों की यात्रा से देशवासी इन क्षेत्रों के सैन्य और ऐतिहासिक महत्व को करीब से समझ सकेंगे। फिलहाल, चो ला पास के लिए सीमित संख्या में वाहनों को ही प्रवेश की अनुमति दी जाएगी ताकि पर्यावरण और सुरक्षा दोनों का ध्यान रखा जा सके।

युवाओं में देशभक्ति और इतिहास के प्रति जागरूकता

रक्षा मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय की संयुक्त पहल से शुरू किया गया यह प्रोजेक्ट युवाओं में देशभक्ति और सैन्य इतिहास को समझने का उत्साह बढ़ाएगा। पर्यटकों को किसी एक स्थल पर ही उस जगह से जुड़े सैन्य संघर्षों और वीर जवानों की शहादत की कहानी सुनाने में आसानी होगी।

साथ ही, यह पहल स्थानीय समुदायों को भी जोड़ती है। जब कोई पर्यटक इन स्थानों पर आएगा, तो स्थानीय संस्कृति, खान-पान, हस्तशिल्प और जीवनशैली को जानने का अवसर मिलेगा। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे।

स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा लाभ

सरकार की योजना में स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना भी एक बड़ा उद्देश्य है। युद्ध स्थलों को पर्यटन के लिए खोलने से आसपास के क्षेत्र में होटलों, रेस्टोरेंट्स, गाइड्स, ट्रांसपोर्ट और अन्य सेवाओं के लिए मांग बढ़ेगी, जिससे रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।

प्रशासन ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ऐसे संवेदनशील और रणनीतिक महत्व वाले पर्यटन स्थलों पर पर्यावरण संरक्षण का विशेष ध्यान रखा जाए। वाहन सीमित संख्या में चलेंगे, जिससे प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके। साथ ही, परमिट सिस्टम लागू कर पर्यटकों की संख्या को नियंत्रित किया जाएगा ताकि युद्ध स्थलों का प्राकृत सौंदर्य और सैन्य संरचनाओं को नुकसान न पहुंचे।

सुरक्षा और पर्यावरण के लिए कड़े इंतजाम

चूंकि ये स्थल सैन्य दृष्टि से संवेदनशील हैं, इसलिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाएंगे। स्थानीय प्रशासन और सेना मिलकर गाइडेड टूर का संचालन सुनिश्चित करेंगे, ताकि पर्यटकों की सुरक्षा बनी रहे और किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।

साथ ही, पर्यावरण संरक्षण को भी प्राथमिकता दी जाएगी। युद्ध स्थलों के आसपास के प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए विशेष कदम उठाए जाएंगे। यह पहल न केवल देश के सैन्य गौरव को सम्मानित करेगी, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों को भी सुरक्षित रखने में मददगार साबित होगी।

शौर्य दिवस और सैनिकों को सम्मान

बैटलफील्ड टूरिज्म का एक उद्देश्य शौर्य दिवस और अन्य सैन्य स्मृतिदिनों के दौरान इन स्थलों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित करना भी है। इससे जवानों के बलिदान को सम्मान मिलेगा और आने वाली पीढ़ियां देशभक्ति के जज्बे से प्रेरित होंगी।

इस तरह, यह पहल देश की सैन्य विरासत को जीवंत रखने और उसे आम लोगों तक पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम बनेगी।

निष्कर्ष

देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले सैनिकों की वीरता और बलिदान को सलाम करते हुए भारत सरकार ने बैटलफील्ड टूरिज्म की शुरुआत की है। यह योजना देश के ऐतिहासिक युद्ध स्थलों को न केवल पर्यटन के लिए खोलती है, बल्कि युवाओं में देशभक्ति की भावना जागृत करती है। डोकलाम और चो ला जैसे रणनीतिक स्थल इस पहल के मुख्य केंद्र होंगे।

यह पर्यटन योजना न केवल देश की सैन्य इतिहास को संरक्षित करने में मदद करेगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाएगी। पर्यटकों के लिए यह एक अवसर होगा कि वे उन स्थानों को देखें जहां देश की आज़ादी और सुरक्षा के लिए भारतीय जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी।

इस पहल के माध्यम से देश की सेना को वह सम्मान मिलेगा, जिसके वे हकदार हैं, और देशवासियों को देशभक्ति की नई मिसाल दिखाने का अवसर मिलेगा। बैटल


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