मुंबई, 13 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। राज्य सरकार ने प्रदेश में इस साल छात्रसंघ चुनाव कराने से इनकार कर दिया है। सरकार ने हाईकोर्ट में पेश किए गए जवाब में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने का हवाला देते हुए चुनाव आयोजित करना असंभव बताया। लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों का जिक्र करते हुए सरकार ने कहा कि सत्र शुरू होने के आठ सप्ताह के भीतर चुनाव करवाने की शर्त फिलहाल पूरी करना संभव नहीं है। सरकार ने अपने जवाब में नौ विश्वविद्यालयों के कुलगुरुओं की राय भी शामिल की, जिसमें अधिकांश ने शैक्षणिक सत्र और कक्षाओं के कार्यक्रम को देखते हुए चुनाव टालने की सिफारिश की। राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर अल्पना कटेजा ने कहा कि यूजी-पीजी प्रवेश पूरे हो चुके हैं और सेमेस्टर प्रणाली के तहत मिड टर्म परीक्षा सितंबर में और मुख्य परीक्षा नवंबर में होगी। उनका कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सुचारू क्रियान्वयन के लिए चुनाव पर फिलहाल रोक रहनी चाहिए, क्योंकि चुनाव होने से परीक्षा परिणाम में देरी होती है, जिससे विद्यार्थी अन्य राज्यों में प्रवेश और प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित रह जाते हैं।
महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर के कुलगुरु प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद चुनाव कराना कठिन बताया और कहा कि सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक समान नीति बनाई जानी चाहिए। उनका मानना है कि चुनाव स्थगित रखना ही शैक्षणिक माहौल के लिए उपयुक्त है। वहीं, महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय, भरतपुर के कार्यवाहक कुलगुरु प्रोफेसर त्रिभुवन शर्मा ने सुझाव दिया कि सत्र में देरी और परीक्षाओं के लंबित परिणाम को देखते हुए आगामी तीन-चार वर्षों तक चुनाव न कराए जाएं। गौरतलब है कि राजस्थान विश्वविद्यालय के एमए प्रथम वर्ष के छात्र जय राव ने 24 जुलाई को याचिका दायर कर छात्रसंघ चुनाव न कराने के खिलाफ हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उनका तर्क था कि छात्र प्रतिनिधि चुनना मौलिक अधिकार है, लेकिन सरकार लगातार तीन सत्रों से चुनाव नहीं करा रही है। इस पर हाईकोर्ट ने 29 जुलाई को सुनवाई करते हुए सरकार से जवाब मांगा था। प्रदेशभर में छात्र नेता भी चुनाव कराने की मांग को लेकर कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं।