अमेरिकी संसद में विदेश नीति पर चल रही चर्चा के दौरान एक अप्रत्याशित दृश्य देखने को मिला। सिडनी कैमलेगर-डव नाम की एक सांसद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक 'कार सेल्फी' का पोस्टर लेकर सदन में पहुंचीं। इस पोस्टर के माध्यम से, उन्होंने यह तर्क दिया कि अमेरिका की नीतियां ही भारत को रूस के करीब धकेल रही हैं, जिससे अमेरिका और भारत की महत्वपूर्ण साझेदारी कमजोर हो रही है।
सांसद कैमलेगर-डव ने स्पष्ट रूप से कहा कि "भारत के लिए ट्रंप की नीतियां केवल अपना नुकसान करके दूसरे को सबक सिखाना जैसा है।"
ट्रंप की दबाव की रणनीति से नुकसान
सांसद कैमलेगर-डव ने जोर देकर कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की दबाव वाली रणनीति "हमारे दोनों देशों के बीच रणनीतिक विश्वास और आपसी समझ को स्थायी नुकसान पहुंचा रही है।" उन्होंने पोस्टर की ओर इशारा करते हुए आगे कहा, "यह तस्वीर हजार शब्दों के बराबर है। आप हमारे रणनीतिक साझेदारों को विरोधियों की गोद में धकेलकर नोबेल शांति पुरस्कार नहीं जीत सकते।" उनका सीधा आरोप था कि अमेरिका की कठोर नीतियां भारत को उसके पारंपरिक मित्र रूस की ओर जाने के लिए मजबूर कर रही हैं।
पुतिन का भारत दौरा और 'सेल्फी'
यह पूरा घटनाक्रम रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के पिछले सप्ताह के दो दिवसीय भारत दौरे के बाद हुआ है। इस दौरे पर, प्रधानमंत्री मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर स्वयं पुतिन का स्वागत करने के लिए हवाई अड्डे पर पहुंचे थे। इसके बाद, दोनों नेता एक ही कार में सवार होकर एयरपोर्ट से निकले थे, और इसी दौरान दोनों की एक सेल्फी सामने आई थी। इससे पहले भी, दोनों नेताओं ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में एक ही कार से सफर किया था। यह यात्रा 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पुतिन की भारत की पहली आधिकारिक यात्रा थी, जिसने अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया।
अमेरिका और यूरोप को क्यों चुभ रहा यह दौरा?
पुतिन के इस गर्मजोशी भरे भारत दौरे को अमेरिका और यूरोपीय देशों को एक करारा जवाब के तौर पर देखा जा रहा है। यूक्रेन युद्ध के कारण अमेरिका और यूरोप रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करना चाहते थे। रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए उन्होंने उस पर कई प्रतिबंध (सैंक्शन) भी लगाए।
इसके बावजूद, भारत सस्ती कीमत पर रूस से कच्चे तेल का भारी मात्रा में आयात कर रहा है। अमेरिका लगातार भारत पर दबाव बना रहा है कि वह रूस से तेल खरीदना बंद करे। हालांकि, भारत ने यह कहते हुए अमेरिका के दबाव को अस्वीकार कर दिया कि यूरोप के भी कई देश रूस से तेल खरीद रहे हैं। जवाब में, अमेरिका ने भारत पर टैरिफ लगाकर और दबाव बनाने की कोशिश की, लेकिन ट्रंप की यह 'दबाव वाली रणनीति' भारत की विदेश नीति को बदलने में असफल रही।
भारत का निष्पक्ष रुख
पुतिन का भारत में भव्य स्वागत अमेरिका और यूरोप की रूस को अलग-थलग करने की रणनीति को एक बड़ा झटका माना जा रहा है। अमेरिका चाहता था कि भारत यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस की खुलकर निंदा करे और अमेरिकी खेमे में शामिल हो जाए। हालांकि, भारत ने अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करते हुए इस मुद्दे पर निष्पक्ष रुख बनाए रखा है, जिससे उसकी रणनीतिक स्वायत्तता (strategic autonomy) प्रदर्शित होती है।