भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन दिनों यूरोप की यात्रा पर हैं, जिसका उद्देश्य भारत के रणनीतिक संबंधों को और सशक्त बनाना है। 19 मई से शुरू हुई इस यात्रा में वे नीदरलैंड, डेनमार्क और जर्मनी का दौरा कर रहे हैं। इस कूटनीतिक दौरे का केंद्र बिंदु है – आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग, हरित साझेदारी और भारत की वैश्विक छवि को मजबूत बनाना।
डेनमार्क में उच्च स्तरीय वार्ताएं
जयशंकर की कोपेनहेगन यात्रा के दौरान उन्होंने डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन से मुलाकात की। बैठक का मुख्य उद्देश्य भारत-डेनमार्क हरित रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाना और सतत विकास व जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों पर सहयोग को मजबूत करना रहा। दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई कि ऊर्जा, पर्यावरण और तकनीक के क्षेत्र में मिलकर कार्य करने से वैश्विक स्तर पर सकारात्मक प्रभाव डाला जा सकता है।
आतंकवाद पर साझा रुख
जयशंकर ने अपने डेनिश समकक्ष लार्स लोके रासमुसेन से भी मुलाकात की और आतंकवाद के खिलाफ भारत के प्रयासों के लिए डेनमार्क के समर्थन की सराहना की। उन्होंने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि “डेनमार्क की आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ एकजुटता सराहनीय है।” यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत लगातार वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ कठोर नीति की वकालत करता रहा है।
डेनमार्क संसद से मुलाकात
जयशंकर ने डेनमार्क की संसद फोल्केटिंग के अध्यक्ष सोरेन गाडे से भी मुलाकात की। उन्होंने भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को लेकर डेनमार्क की एकजुटता और समर्थन की सराहना की। इस तरह की बैठकों से यह स्पष्ट होता है कि भारत अब केवल क्षेत्रीय राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा एजेंडे में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
भारतीय समुदाय से संवाद
अपनी यात्रा के दौरान जयशंकर ने कोपेनहेगन में भारतीय समुदाय के सदस्यों से भी मुलाकात की। उन्होंने विदेश में रह रहे भारतीयों को भारत की संस्कृति और मूल्यों के संवाहक के रूप में सराहा और उनकी भूमिका को भारत की वैश्विक छवि निर्माण में महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, “भारतीय समुदाय भारत का गौरव है, और वे विदेशों में भारतीय ध्वज को ऊंचा रखते हैं।”
जर्मनी और नीदरलैंड का भी दौरा
डेनमार्क की यात्रा से पहले जयशंकर ने नीदरलैंड की दो दिवसीय यात्रा पूरी की, जहां उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को लेकर कई अहम चर्चाएं कीं। इसके बाद वे जर्मनी पहुंचे, जहां उन्होंने जर्मन संसद सदस्यों और अन्य अधिकारियों से उच्चस्तरीय वार्ताएं कीं। उनका उद्देश्य यूरोप में भारत की कूटनीतिक पहुंच को और विस्तार देना है।
निष्कर्ष
एस. जयशंकर की यह यात्रा भारत के वैश्विक कूटनीतिक दृष्टिकोण को और स्पष्ट करती है। चाहे वह हरित साझेदारी हो या आतंकवाद विरोधी नीति, भारत अब वैश्विक मंचों पर स्पष्ट, सशक्त और रणनीतिक रूप में उभर रहा है। यूरोप के साथ सहयोग बढ़ाकर भारत ना सिर्फ व्यापार और तकनीक में नए अवसर तलाश रहा है, बल्कि आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को भी मजबूत कर रहा है।