अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूस की प्रमुख तेल कंपनियों पर लगाए गए नए प्रतिबंधों के बीच, जिसने चीन और भारत जैसे बड़े खरीदारों को रूसी तेल आयात पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया है, चीन को अपने ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने वाली एक बड़ी खोज हाथ लगी है। चाइना सेंट्रल टेलीविजन (CCTV) ने गुरुवार को घोषणा की कि चीन के सिचुआन बेसिन में एक नए कुएं में बड़ी मात्रा में शेल तेल (Shale Oil) और प्राकृतिक गैस (Natural Gas) के भंडार की खोज की गई है। यह खोज ऐसे समय में हुई है जब चीनी रिफाइनरी कंपनियों ने अमेरिकी प्रतिबंधों के डर से समुद्री मार्ग से रूसी तेल का आयात निलंबित कर दिया है, जो चीन की ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला के लिए एक बड़ा झटका था।
किलुए-1 कुएं में मिला विशाल भंडार
सिचुआन बेसिन में खोजे गए इस नए कुएं का नाम किलुए-1 (Qiluye-1) है। शोधकर्ताओं ने पुष्टि की है कि यह एक नया शेल ऑयल फील्ड है, जिसका अनुमानित भंडार 100 मिलियन टन से अधिक है। यह खोज चीन के दीर्घकालिक और स्थिर कच्चे तेल उत्पादन को बनाए रखने के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। किलुए-1 कुएं से शुरुआती उत्पादन प्रभावशाली रहा है, जिसमें रोज़ाना 38.64 घन मीटर तेल और 10,000 घन मीटर गैस का उत्पादन हो रहा है।
तकनीकी विशिष्टताएँ:
यह कुआँ चोंगकिंग नगर पालिका के किचियांग जिले में स्थित है।
इसे 2,000 मीटर से अधिक गहराई तक खोदा गया, जिसमें लगभग दो किलोमीटर लंबा क्षैतिज भाग है।
इसमें लगभग 40 मीटर मोटी तेल युक्त शेल परत मिली है।
सिनोपेक (Sinopec) की अन्वेषण शाखा के एक प्रतिनिधि के अनुसार, किलुए-1 से प्राप्त शेल ऑयल ऊपरी गहराई पर स्थित है और इसकी उत्कृष्ट गुणवत्ता के कारण अच्छे आर्थिक लाभ की उम्मीद है। रिपोर्ट बताती है कि इस खोज से लगभग 1,000 वर्ग किलोमीटर में फैली एक हाई क्वालिटी वाली नई शेल परत की उपस्थिति का संकेत मिलता है, जिसे भविष्य में आगे खोजा जा सकता है।
अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच चीन को राहत
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों—रोसनेफ्ट और लुकोइल—पर नए प्रतिबंध लगाए हैं। इन प्रतिबंधों ने रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदारों—चीन और भारत—को मुश्किल में डाल दिया है। चीन का आयात निलंबन: कई चीनी राष्ट्रीय तेल कंपनियाँ, जो समुद्री रास्ते से प्रतिदिन लगभग 14 लाख बैरल रूसी तेल खरीदती थीं, प्रतिबंधों से बचने के लिए इसकी खरीद को निलंबित कर रही हैं। भारत की दुविधा: रॉयटर्स की रिपोर्टों के अनुसार, भारतीय रिफाइनरियां भी संभावित हैवी टैरिफ से बचने के लिए रूसी कच्चे तेल की खरीद सीमित करने पर विचार कर रही हैं।
रूसी तेल की आपूर्ति में इस भारी कटौती से तेल की कीमतें बढ़ने और चीन को अन्य स्रोतों का रुख करने का डर सता रहा था। ऐसे में, शेल तेल के इस नए विशाल भंडार की खोज ने बीजिंग के लिए रणनीतिक राहत प्रदान की है। यह खोज चीन को उसकी बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने और भू-राजनीतिक दबावों के सामने अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगी।
यह घटनाक्रम दर्शाता है कि भले ही वैश्विक भू-राजनीति ने चीन के लिए अल्पावधि की ऊर्जा चुनौती पैदा की हो, देश का सक्रिय घरेलू अन्वेषण कार्यक्रम उसे दीर्घकालिक ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने में मदद कर रहा है।