मुंबई, 15 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को उनके ही देश में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तारीफ करने के लिए ट्रोल किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने कहा कि अगर चापलूसी के लिए नोबेल पुरस्कार मिलता, तो शरीफ इसके सबसे बड़े दावेदार होते। मिस्र में गाजा पीस समिट के दौरान शरीफ ने ट्रम्प के भारत-पाकिस्तान संघर्ष रुकवाने के दावे का समर्थन किया और ट्रम्प को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने की बात कही। इस पर ट्रम्प ने हंसते हुए कहा कि उन्हें यह उम्मीद नहीं थी और उन्होंने हल्के अंदाज में टिप्पणी की।
पाकिस्तानी इतिहासकार अम्मार अली जन ने कहा कि ट्रम्प की बेवजह तारीफ से पाकिस्तानी शर्मिंदा हैं। वहीं सोशल मीडिया यूजर वसीम ने सवाल उठाया कि हमारे नेता इतने चाटुकार क्यों हैं। लेखक एसएल कंथन ने लिखा कि ट्रम्प की तारीफ के लिए शरीफ को बुलाना पड़ता है और इसे देखकर पाकिस्तान में शर्मिंदगी का माहौल है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता हम्माद अजहर ने भी कहा कि दुनिया हमारे नेताओं पर हंस रही है और यह चापलूसी उन्हें भी शर्मसार कर रही है।
समिट के दौरान ट्रम्प ने शरीफ से कुछ बोलने के लिए कहा, जिस पर शरीफ ने पांच मिनट तक उनकी तारीफ की। उन्होंने कहा कि ट्रम्प सच में शांति के लिए काम करने वाले हैं, उनके प्रयासों से न सिर्फ भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष रुका, बल्कि दुनिया में आठ अन्य संघर्षों का भी समाधान हुआ। शरीफ ने ट्रम्प को सच्चे शांति दूत बताते हुए कहा कि यह दिन इतिहास में दर्ज किया जाएगा।
पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्ते इस साल मई में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद मजबूत हुए हैं। ट्रम्प ने 10 मई को दोनों देशों के बीच सीजफायर कराने का दावा किया था, जिसे पाकिस्तान ने समर्थन दिया और ट्रम्प को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया। जून में पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने ट्रम्प से गोपनीय बैठक की थी और सितंबर में शरीफ और मुनीर व्हाइट हाउस में ट्रम्प से मिले, जहां शरीफ ने उन्हें शांति दूत बताया। इसके अलावा पाकिस्तान ने अमेरिका को दुर्लभ खनिजों की खेप भेजी, जो पिछले महीने USSM कंपनी के साथ 50 करोड़ डॉलर के सौदे का हिस्सा थी। USSM ने इसे दोनों देशों के बीच दोस्ती का बड़ा कदम बताया। पाकिस्तानी सेना के सलाहकारों ने अमेरिका को बलूचिस्तान में एक नया पोर्ट विकसित करने का प्रस्ताव भी दिया, जिसे सिर्फ व्यापार और खनिजों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा और सैन्य बेस की अनुमति नहीं होगी।