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Aaj ka Panchang: आज है कार्तिक मास की तृतीया, रहेगा भरणी नक्षत्र, शुभ-अशुभ मुहूर्त जानने के लिए पढ़ें 9 अक्टूबर का पंचांग

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Posted On:Thursday, October 9, 2025

हिंदू कैलेंडर का आठवां महीना, कार्तिक मास, शुरू हो चुका है, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है। आज, 9 अक्टूबर को, कार्तिक कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि रात 10 बजकर 55 मिनट तक रहेगी, जिसके बाद चतुर्थी तिथि का आरंभ होगा। आज भरणी नक्षत्र रात 8 बजकर 02 मिनट तक रहेगा, इसके उपरांत कृतिका नक्षत्र शुरू होगा। वज्र योग रात 9 बजकर 32 मिनट तक है, इसके बाद सिद्धि योग लग जाएगा। करण की बात करें तो वणिज दिन 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा, फिर बव करण का आरंभ होगा। इस पूरे माह मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु सहित कई देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना और दान-पुण्य करने का विधान है। अशुभ समय में राहुकाल दोपहर 01:30 बजे से 03:00 बजे तक रहेगा, इस दौरान शुभ कार्यों से बचें। दिशा शूल आज दक्षिण दिशा में रहेगा।


पंचांग- 09.10.2025


युगाब्द - 5126
संवत्सर - सिद्धार्थ
विक्रम संवत् -2082
शाक:- 1947
ऋतु __ शरद
सूर्य __ दक्षिणायन
मास __ कार्तिक
पक्ष __ कृष्ण पक्ष
वार __ गुरुवार
तिथि - तृतीया 22:53:50
नक्षत्र भरणी 20:01:39
योग वज्र 21:31:22
करण वणिज 12:36:57
करण विष्टि भद्र 22:53:50
चन्द्र राशि मेष till 25:22
चन्द्र राशि वृषभ from 25:22
सूर्य राशि - कन्या

आज विशेष 👉🏻 गुरु रामदास जयंती

🍁 अग्रिम पर्वोत्सव 🍁

👉🏻 करवा (करक) चौथ व्रतम्
10/10/25 (शुक्रवार)
👉🏻 व्यतिपात पुण्यम्
11/10/25 (शनिवार)
👉🏻 अहोई अष्टमी
13/10/25 (सोमवार)
👉🏻 रमा एकादशी व्रतम्
17/10/25 (शुक्रवार)
👉🏻 धन तेरस/ प्रदोष व्रतम्
18/10/25 (शनिवार)
👉🏻 नरक/ रूप चतुर्दशी
19/10/25 (रविवार)
👉🏻 दीपावली
20/10/25 (सोमवार)
👉🏻 देवपितृ अमावस
21/10/25 (मंगलवार)
👉🏻 अन्नकूट/ गोवर्धन पूजन
22/10/25 (बुधवार)

एक संत किसी प्रसिद्ध तीर्थस्थानपर गये थे। वहाँ एक दिन वे तीर्थस्नान करके रातको मन्दिरके पास सोये थे। उन्होंने स्वप्नमें देखा-दो तीर्थदेवता आपसमें बातें कर रहे हैं। एकने पूछा-

'इस वर्ष कितने नर-नारी तीर्थमें आये?'

'लगभग छः लाख आये होंगे।' दूसरेने उत्तर दिया।

'क्या भगवान्ने सबकी सेवा स्वीकार कर ली ?'

'तीर्थके माहात्म्यकी बात तो जुदा है; नहीं तो उनमें बहुत ही कम ऐसे होंगे, जिनकी सेवा स्वीकृत हुई हो।'

'ऐसा क्यों?'

'इसीलिये कि भगवान्में श्रद्धा रखकर पवित्र भावसे तीर्थ करने बहुत थोड़े लोग आये। जो आये, उन्होंने भी तीर्थोंमें नाना प्रकारके पाप किये।'

'कोई ऐसा भी मनुष्य है जो कभी तीर्थ नहीं गया, परंतु जिसको तीर्थोंका फल प्राप्त हो गया और जिसपर प्रभुकी प्रसन्नता बरस रही हो?'

कई होंगे, एकका नाम बताता हूँ, वह है रामू। यहाँसे बहुत दूर केरल देशमें रहता है।

इतनेमें संतकी नींद टूट गयी। उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ और इच्छा हुई केरल देशमें जाकर भाग्यवान् रामूका दर्शन करनेकी। संत उत्साही और दृढ़निश्चयी तो होते ही हैं, चल दिये और बड़ी कठिनतासे केरल पहुँचे। पता लगाते-लगाते एक गाँवमें रामूका घर मिल गया। संतको आया देख वह बाहर आया। संतने पूछा- क्या करते हो भैया ?'

'जूते बनाकर बेचता हूँ, महाराज!' रामूने उत्तर दिया।

'तुमने कभी तीर्थयात्रा भी की है?'

'नहीं महाराज ! मैं गरीब आदमी तीर्थयात्राके लिये पैसा कहाँसे लाता ? तीर्थका मन तो था परंतु जा नहीं सका।'

'तुमने और कोई बड़ा पुण्य किया है?'

'ना महाराज ! मैं गरीब पुण्य कहाँसे करता ?'

तब संतने अपना स्वप्न सुनाकर उससे पूछा- 'फिर भगवान्‌की इतनी कृपा तुमपर कैसे हुई ?'

'भगवान् तो दयालु होते ही हैं, उनकी कृपा दीनोंपर विशेष होती है।' (इतना कहते-कहते वह गद्गद हो गया), फिर बोला- 'महाराज! मेरे मनमें वर्षोंसे तीर्थयात्राकी चाह थी। बहुत मुश्किलसे पेटको खाली रख-रखकर मैंने कुछ पैसे बचाये थे, मैं तीर्थयात्राके लिये जानेवाला ही था कि मेरी स्त्री गर्भवती हो गयी। एक दिन पड़ोसीके घरसे मेथीकी सुगन्ध आयी, मेरी स्त्रीने कहा- 'मेरी इच्छा है मेथीका साग खाऊँ, पड़ोसीके यहाँ बन रहा है, जरा माँग लाओ।' मैंने जाकर साग माँगा। पड़ोसिन बोली-'ले जाइये, परंतु है यह बहुत अपवित्र। हमलोग सात दिनोंसे सब के सब भूखे थे, प्राण जा रहे थे। एक जगह एक मुर्देपर चढ़ाकर साग फेंका गया था, वही मेरे पति बीन लाये। उसीको मैं पका रही हूँ।' (रामू फिर गद्गद होकर कहने लगा) 'मैं उसकी बात सुनकर काँप गया। मेरे मनमें आया, पड़ोसी सात-सात दिनोंतक भूखे रहें और हम पैसे बटोरकर तीर्थयात्रा करने जायें। यह तो ठीक नहीं है। मैंने बटोरे हुए सब पैसे आदरके साथ उनको दे दिये। वह परिवार अन्न-वस्त्रसे सुखी हो गया। रातको भगवान्ने स्वप्नमें दर्शन देकर कहा- 'बेटा! तुझे सब तीर्थोंका फल मिल गया, तुझपर मेरी कृपा बरसेगी।' 'महाराज! तबसे मैं सचमुच सुखी हो गया। अब मैं तीर्थस्वरूप भगवान्‌को अपनी आँखोंके सामने ही निरन्तर देखा करता हूँ और बड़े आनन्दसे दिन कट रहे हैं।'

रामूकी बात सुनकर संत रो पड़े। उन्होंने कहा- 'सचमुच तीर्थयात्रा तो तैने ही की है।'

जय जय श्री सीताराम 👏
जय जय श्री ठाकुर जी की👏
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा)
व्याकरणज्योतिषाचार्य
राज पंडित-श्री राधा गोपाल मंदिर
(जयपुर)


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