हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ है, जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि समुद्र से भगवान श्री राम का धनुष निकला है। इस वीडियो में एक विशाल धनुष को समुद्र से बाहर आते हुए और फिर एक नाव पर रखे जाने का दृश्य दिखाया गया है। वीडियो में पुलिस की उपस्थिति भी दिखाई गई है, जिससे लोगों में यह भ्रम पैदा हुआ कि यह घटना असली है और रामायण काल का एक महत्वपूर्ण प्रमाण सामने आया है। लेकिन पीटीआई फैक्ट चेक की पड़ताल में इस वायरल दावे की सच्चाई सामने आ चुकी है, जो इससे बिल्कुल उलट है।
वायरल वीडियो का दावा क्या है?
2 जून 2025 को फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर यह वीडियो साझा किया गया, जिसमें यह लिखा गया—
"बताया जा रहा है कि यह धनुष समुद्र से प्राप्त हुआ है और रामायण काल का प्रमाण है। रामायण के अनुसार भगवान श्री राम के पास एक विशेष धनुष था, जिसका नाम कोदंड था।"
वीडियो में दावा किया गया कि यह वही ‘कोदंड’ धनुष है, जो श्रीराम द्वारा उपयोग किया गया था और अब हजारों साल बाद समुद्र से प्राप्त हुआ है। यह दावा इतना आकर्षक था कि हजारों लोगों ने इसे शेयर किया, कमेंट किया और इसे भारतीय संस्कृति का एक चमत्कारी प्रमाण मान लिया।
सच्चाई क्या है? फैक्ट चेक में क्या सामने आया?
पीटीआई फैक्ट चेक ने इस वीडियो की गहराई से जांच की। सबसे पहले, संबंधित कीवर्ड जैसे "Lord Ram Bow found in sea", "Ramayan Dhanush AI video" आदि से खोज की गई, लेकिन कोई भी विश्वसनीय न्यूज रिपोर्ट या आधिकारिक बयान नहीं मिला, जो इस दावे की पुष्टि करता हो।
इसके बाद वीडियो की तकनीकी जांच की गई। वीडियो को बारीकी से देखने पर कई विज़ुअल विसंगतियां पाई गईं, जैसे पानी की लहरों का असमान गति से चलना, पुलिस के सिरेनों की ध्वनि में गड़बड़ी, और धनुष के आकार की वास्तविकता से बाहर की चमक।
AI टूल्स से हुआ खुलासा
इस वीडियो की गहराई से जांच के लिए दो प्रमुख एआई डिटेक्शन टूल्स की मदद ली गई:
1. undetectable.ai
इस टूल ने यह स्पष्ट किया कि वीडियो में प्रयुक्त सभी विजुअल एलिमेंट्स और मूवमेंट्स AI जनरेटेड हैं। रिपोर्ट के अनुसार, वीडियो 100% कृत्रिम रूप से तैयार किया गया है, न कि किसी रियल फुटेज पर आधारित।
2. decopy.ai
यह AI डिटेक्शन टूल भी इसी निष्कर्ष पर पहुंचा। इसकी रिपोर्ट के अनुसार, वीडियो 99% तक AI जनरेटेड है। AI टूल ने साफ किया कि इसमें प्रयुक्त वस्तुएं, पृष्ठभूमि, और मनुष्य जैसे दिखने वाले पात्र भी जनरेटेड हैं।
इन दोनों टूल्स के स्क्रीनशॉट पीटीआई फैक्ट चेक ने सार्वजनिक किए हैं, जिससे यह साफ हो जाता है कि वीडियो की वास्तविकता का कोई प्रमाण नहीं है।
क्यों गढ़े जाते हैं ऐसे फर्जी वीडियो?
सोशल मीडिया पर क्लिकबेट और भावनात्मक अपील वाले कंटेंट तेजी से वायरल होते हैं। धार्मिक या ऐतिहासिक संदर्भों में तैयार किया गया वीडियो आसानी से लोगों की आस्था से जुड़ता है। कुछ यूजर्स ऐसे वीडियो बनाकर व्यूज, लाइक्स और फॉलोअर्स बढ़ाने की मंशा से इन्हें वायरल करते हैं।
AI तकनीक ने इन कार्यों को और आसान बना दिया है। अब कोई भी व्यक्ति बिना कैमरा उठाए, कुछ सॉफ्टवेयर की मदद से मनगढ़ंत और रियल जैसा दिखने वाला वीडियो बना सकता है।
निष्कर्ष
दावा |
समुद्र से भगवान राम का कोदंड धनुष प्राप्त हुआ है। |
सच्चाई |
वीडियो AI से बनाया गया है। यह दावा झूठा और भ्रामक है। |
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया है कि तकनीक का गलत उपयोग करके लोगों को गुमराह किया जा सकता है। इसलिए सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे किसी भी वीडियो या खबर पर आंख मूंदकर भरोसा करने से पहले उसकी फैक्ट चेकिंग जरूर करें।
पाठकों से अपील
अगर आप भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं, तो किसी भी धार्मिक, ऐतिहासिक या चौंकाने वाले दावे वाले वीडियो या खबर को शेयर करने से पहले उसकी प्रामाणिकता जरूर जांचें। फर्जी सूचनाएं समाज में भ्रम, डर और तनाव फैला सकती हैं।
इस मामले में आस्था के नाम पर एक झूठ फैलाया जा रहा था, जिसे तकनीक के ज़रिए पकड़ा गया। ये तकनीक जितनी मददगार है, उतनी ही खतरनाक भी हो सकती है यदि इसका दुरुपयोग किया जाए।