हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यकर्ताओं पर पुलिस लाठीचार्ज करती नजर आ रही है। कई यूजर्स इस वीडियो को वर्तमान घटना बताकर शेयर कर रहे हैं और यह दावा किया जा रहा है कि यह घटना नेपाल की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में सपा कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए प्रदर्शन की है, जिस पर पुलिस ने कार्रवाई की।
हालांकि, PTI फैक्ट चेक और अन्य विश्वसनीय स्रोतों की जांच में सामने आया है कि यह दावा पूरी तरह गलत और भ्रामक है।
है वायरल वीडियो का दावा?
14 सितंबर 2025 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर एक यूजर ने यह वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा –
“लाल टोपी चले थे नेपाल बनाने,..क्या हश्र हुआ खुद देख लीजिए।”
इसके साथ वीडियो में सपा कार्यकर्ताओं को पुलिस द्वारा पीटे जाते हुए दिखाया गया। दावा किया गया कि ये दृश्य हाल के किसी प्रदर्शन के हैं, जो नेपाल की राजनीतिक घटनाओं से प्रेरित होकर किए गए थे।
🔎 फैक्ट चेक: क्या है सच्चाई?
PTI फैक्ट चेक की जांच में यह दावा फर्जी निकला।
कैप्शन में लिखा था:
“प्रयागराज में मुख्यमंत्री के आदेश पर सपा कार्यकर्ताओं पर पुलिस का बर्बर लाठीचार्ज घोर निंदनीय! सत्ता के दमन से मिली जीत का खोखला जश्न ज्यादा दिन तक न चल पाएगा।”
क्या हुआ था 3 जुलाई 2021 को?
नवभारत टाइम्स सहित कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक:
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यह वीडियो प्रयागराज जिला पंचायत कार्यालय का है।
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उस दिन जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी ने BJP पर फर्जी वोटिंग के लिए डिवाइस का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था।
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इसी मुद्दे को लेकर सपा कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया था।
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माहौल बिगड़ने पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें कई कार्यकर्ता घायल भी हुए।
भ्रामक पोस्ट्स से रहें सावधान
फेसबुक और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर कई लोग इस 2021 के वीडियो को हालिया बताकर शेयर कर रहे हैं, जिससे आम जनता को गुमराह किया जा रहा है।
हालांकि, जांच में यह साफ हो गया कि यह घटना पुरानी है और वर्तमान घटनाओं से कोई संबंध नहीं रखती।
निष्कर्ष:
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दावा: नेपाल की तर्ज पर भारत में सपा कार्यकर्ताओं पर हाल ही में लाठीचार्ज हुआ।
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तथ्य: यह दावा झूठा है।
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सत्य: वीडियो 3 जुलाई 2021 का है, जब प्रयागराज में जिला पंचायत चुनाव में धांधली के आरोप लगाते हुए सपा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया था और पुलिस ने कार्रवाई की थी।
क्या करें?
यदि आप सोशल मीडिया पर कोई ऐसा वीडियो देखें जिसका दावा संदिग्ध लगे, तो उसे तुरंत शेयर न करें।
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गूगल रिवर्स इमेज सर्च जैसे टूल्स से जांच करें।
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विश्वसनीय फैक्ट चेकिंग साइट्स (जैसे PTI, AltNews, BOOM FactCheck) से पुष्टि करें।
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फर्जी खबरें न फैलाएं – सोशल मीडिया की जिम्मेदारी हम सबकी है।