नई दिल्ली/ढाका: भारत और बांग्लादेश के बीच सदियों पुराने भौगोलिक और व्यापारिक रिश्ते आज एक नाजुक मोड़ पर खड़े हैं। बांग्लादेश में हालिया सत्ता परिवर्तन और उसके बाद उपजी राजनीतिक अस्थिरता ने दोनों देशों के बीच कड़वाहट पैदा कर दी है। दिसंबर 2025 के मौजूदा हालात इशारा कर रहे हैं कि यदि कूटनीतिक तल्खी व्यापारिक संबंधों पर हावी हुई, तो इसका खामियाजा बांग्लादेश की आम जनता को भुगतना पड़ सकता है।
भारत पर बांग्लादेश की भारी निर्भरता
बांग्लादेश अपनी रसोई से लेकर अस्पतालों और फैक्ट्रियों तक के लिए भारत पर निर्भर है। भौगोलिक निकटता के कारण भारत से सामान मंगाना ढाका के लिए सबसे सस्ता और सुलभ विकल्प है। भारत मुख्य रूप से निम्नलिखित वस्तुएं एक्सपोर्ट करता है:
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खाद्य सामग्री: गेहूं, चावल, चीनी, प्याज, आलू और मसाले।
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ऊर्जा और दवाएं: रिफाइंड पेट्रोलियम और जीवन रक्षक दवाएं।
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इंडस्ट्रियल कच्चा माल: कपास (कपड़ा उद्योग के लिए), कच्चा लोहा, स्टील और प्लास्टिक।
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इंजीनियरिंग: ऑटो पार्ट्स, बिजली के उपकरण और मशीनरी।
चावल की सप्लाई रुकी तो क्या होगा?
बांग्लादेश में चावल मुख्य आहार है और भारत इसका सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। साल 2024 में जब बांग्लादेश बाढ़ की विभीषिका झेल रहा था, तब भारत ने 2,00,000 टन चावल भेजकर उसकी मदद की थी। यदि भारत अब हाथ खींचता है, तो:
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महंगाई का विस्फोट: बांग्लादेश को थाईलैंड या वियतनाम जैसे दूरदराज के देशों से चावल मंगाना होगा, जिससे ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बढ़ने के कारण कीमतें आसमान छूने लगेंगी।
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रमजान से पहले संकट: आने वाले रमजान के महीने में मांग बढ़ने पर वहां खाद्य सुरक्षा का गंभीर संकट पैदा हो सकता है।
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रिजर्व का खत्म होना: सरकार को अपने इमरजेंसी स्टॉक का उपयोग करना होगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा।
कपड़ा उद्योग और स्वास्थ्य क्षेत्र पर प्रहार
बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ उसका 'गारमेंट सेक्टर' है। इसके लिए कच्चे कपास (Cotton) की बड़ी खेप भारत से जाती है। यदि सप्लाई बाधित होती है, तो वहां की फैक्ट्रियां बंद हो सकती हैं, जिससे बड़े पैमाने पर बेरोजगारी फैलेगी। इसके अलावा, बांग्लादेश का हेल्थकेयर सेक्टर भारतीय दवाओं और मेडिकल उपकरणों पर टिका है, जिसकी कमी से वहां स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा सकती हैं।
क्या भारत भी मंगाता है कुछ सामान?
व्यापार दोनों तरफ से होता है, हालांकि पलड़ा भारत के पक्ष में भारी है। भारत बांग्लादेश से मुख्य रूप से रेडीमेड कपड़े, जूट उत्पाद, चमड़ा और समुद्री उत्पाद (मछली आदि) आयात करता है। लेकिन भारत के पास इन चीजों के लिए वियतनाम या घरेलू बाजार जैसे अन्य विकल्प मौजूद हैं, जबकि बांग्लादेश के लिए भारत का विकल्प ढूंढना लगभग नामुमकिन है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बांग्लादेश ने अपने अंदरूनी हालातों और भारत विरोधी गतिविधियों पर नियंत्रण नहीं पाया, तो "पड़ोसी पहले" की नीति पर चलने वाला भारत कड़े व्यापारिक फैसले ले सकता है, जिसका सीधा असर बांग्लादेश की जीडीपी और आम आदमी की थाली पर पड़ेगा।