दुनियाभर में आर्थिक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनावों के बीच, भारतीय अर्थव्यवस्था एक 'ब्राइट स्पॉट' (चमकते सितारे) के रूप में उभरी है। वैश्विक निवेश बैंक Goldman Sachs की ताजा रिपोर्ट के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारत आने वाले वर्षों में न केवल अपनी रफ्तार बरकरार रखेगा, बल्कि दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ते हुए सबसे तेज गति से आगे बढ़ेगा।
भारत बनाम दुनिया: विकास दर का तुलनात्मक विश्लेषण
Goldman Sachs के अनुमानों के अनुसार, भारत की विकास यात्रा प्रभावशाली रहने वाली है:
इसकी तुलना में दुनिया के अन्य दिग्गजों की स्थिति कुछ इस प्रकार रहने की उम्मीद है:
-
चीन: 2026 में चीन की ग्रोथ 4.8 प्रतिशत के आसपास सिमट सकती है।
-
अमेरिका: विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका की रफ्तार 2.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
-
यूरो क्षेत्र: यूरोपीय देशों की सामूहिक विकास दर महज 1.3 प्रतिशत तक सीमित रह सकती है।
वैश्विक स्तर पर औसत GDP ग्रोथ 2.8 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जो भारत की रफ्तार के मुकाबले आधे से भी कम है।
भारत की मजबूती के तीन मुख्य स्तंभ
भारत की इस असाधारण वृद्धि के पीछे रिपोर्ट में कुछ प्रमुख कारणों को रेखांकित किया गया है:
-
मजबूत घरेलू मांग: भारत की विशाल आबादी और बढ़ता मध्यम वर्ग घरेलू खपत को स्थिर बनाए हुए है, जिससे बाहरी झटकों का असर कम होता है।
-
इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश: सरकार द्वारा सड़क, रेलवे और पोर्ट्स जैसे बुनियादी ढांचे पर किया जा रहा भारी खर्च अर्थव्यवस्था में 'मल्टीप्लायर इफेक्ट' पैदा कर रहा है।
-
स्थिर व्यापक आर्थिक (Macroeconomic) स्थिति: महंगाई पर नियंत्रण और वित्तीय घाटे को साधने की कोशिशों ने विदेशी निवेशकों का भरोसा जीता है।
चीन की चुनौती: मैन्युफैक्चरिंग बनाम प्रॉपर्टी संकट
रिपोर्ट में चीन की स्थिति को 'मिश्रित' बताया गया है। एक तरफ चीन का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर अब भी दुनिया के लिए चुनौती बना हुआ है, जो कम लागत पर उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद तैयार कर रहा है। वहीं दूसरी ओर, चीन का प्रॉपर्टी सेक्टर उसकी अर्थव्यवस्था के लिए गले की फांस बना हुआ है। अनुमान है कि यह सेक्टर 2026 में चीन की GDP ग्रोथ में 1.5% की गिरावट का कारण बन सकता है।
वैश्विक परिदृश्य और ब्याज दरों का रुख
Goldman Sachs के मुख्य अर्थशास्त्री जन हत्जियस (Jan Hatzius) के अनुसार, विकसित देशों (विशेषकर अमेरिका और यूरोप) में महंगाई अब धीरे-धीरे काबू में आ रही है। इसका मतलब है कि 2026 तक केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती शुरू कर सकते हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर कर्ज सस्ता होगा और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
निष्कर्ष Goldman Sachs की यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि भारत अब केवल एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि वैश्विक विकास का नेतृत्व करने वाला प्रमुख केंद्र बन गया है। जहाँ चीन अपने आंतरिक ढांचागत संकटों से जूझ रहा है और पश्चिमी देश सुस्ती का सामना कर रहे हैं, वहीं भारत अपनी आंतरिक ताकत और सुधारों के दम पर नई ऊंचाइयों को छूने को तैयार है।