अपना घर खरीदने का सपना देख रहे मध्यम वर्ग और भारी-भरकम ईएमआई (EMI) के बोझ तले दबे आम लोगों के लिए आने वाला समय खुशियों की नई सौगात लेकर आ सकता है. दिसंबर 2025 की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में मिली राहत के बाद अब संकेत मिल रहे हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) फरवरी 2026 में भी आम आदमी की जेब को और राहत दे सकता है.
फरवरी में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की उम्मीद
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) की एक ताजा रिपोर्ट ने बाजार में सकारात्मक हलचल पैदा कर दी है. इस रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई फरवरी 2026 में होने वाली अपनी अगली मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत (25 बेसिस पॉइंट) की और कटौती कर सकता है.
वर्तमान में रेपो रेट 5.25% पर है. यदि अनुमान के मुताबिक कटौती होती है, तो यह दर घटकर 5.00% के मनोवैज्ञानिक स्तर पर आ जाएगी. इसका सीधा अर्थ यह है कि बैंकों को आरबीआई से कम ब्याज पर कर्ज मिलेगा, जिसका लाभ बैंक अपने ग्राहकों को होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दरों में कटौती करके देंगे.
महंगाई पर लगाम: कटौती का मुख्य आधार
आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में इस नरमी के पीछे सबसे बड़ा कारण महंगाई का नियंत्रण में होना है. यूनियन बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, महंगाई अब डरावने स्तर से काफी नीचे आ चुकी है. एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि अगर सोने की कीमतों में आए उछाल के कारण बढ़ी हुई महंगाई (लगभग 0.50%) को हटा दिया जाए, तो वास्तविक महंगाई दर और भी सुखद नजर आती है.
हालांकि, फरवरी 2026 की बैठक आरबीआई के लिए एक परीक्षा की घड़ी भी होगी. इसका कारण यह है कि उस समय सीपीआई (CPI) और जीडीपी (GDP) के आधार वर्ष (Base Year) में बदलाव होने की संभावना है. इन नए मानकों पर आंकड़े कैसे उभरकर आते हैं, इस पर पूरे देश की नजर रहेगी.
साल 2025: कर्जदारों के लिए 'गोल्डन ईयर'
यदि हम पीछे मुड़कर देखें, तो साल 2025 लोन लेने वालों के लिए बेहद राहत भरा रहा है. केंद्रीय बैंक ने पूरे वर्ष में कुल चार बार दरों में कटौती की:
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फरवरी और अप्रैल 2025: 0.25-0.25% की शुरुआती राहत.
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जून 2025: 0.50% की बड़ी और चौंकाने वाली कटौती.
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दिसंबर 2025: 0.25% की कटौती के साथ साल का शानदार अंत.
इन कटौतियों के कारण रियल एस्टेट सेक्टर में तेजी आई है और लोगों के लिए घर खरीदना पहले के मुकाबले किफायती हुआ है.
एफडी निवेशकों के लिए चुनौती
जहां एक तरफ लोन लेने वाले खुश हैं, वहीं फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश करने वालों के लिए यह खबर थोड़ी चिंताजनक हो सकती है. जब रेपो रेट घटता है, तो बैंक जमा राशियों पर भी ब्याज दरें कम कर देते हैं. ऐसे में सीनियर सिटीजन्स और सुरक्षित निवेश चाहने वालों को अपनी जमा पूंजी पर मिलने वाले रिटर्न में कमी देखनी पड़ सकती है.
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, फरवरी 2026 की संभावित कटौती भारतीय अर्थव्यवस्था में नकदी के प्रवाह को बढ़ाने और विकास दर को गति देने का काम करेगी. यदि आप होम लोन लेने की योजना बना रहे हैं, तो आने वाले कुछ महीने आपके लिए सबसे सही समय साबित हो सकते हैं.