अक्सर मिडिल क्लास परिवारों में एक तरफ बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) जमा होती है और दूसरी तरफ किसी जरूरत के लिए लिया गया लोन चल रहा होता है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या 7% ब्याज वाली एफडी को बरकरार रखते हुए 15% ब्याज वाला लोन भरना अक्लमंदी है? यह फैसला केवल गणित का नहीं, बल्कि वित्तीय अनुशासन और सुरक्षा का भी है।
ब्याज दर का गणित: क्या आप घाटे का सौदा कर रहे हैं?
सबसे पहले ब्याज दरों की सीधी तुलना करें। भारत में अधिकांश बैंक एफडी पर 6% से 7.5% तक ब्याज देते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि एफडी से होने वाली आय आपकी टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेबल होती है। यदि आप 30% के टैक्स स्लैब में हैं, तो 7% वाली एफडी का प्रभावी रिटर्न घटकर 4.9% ही रह जाता है।
दूसरी तरफ, लोन की दरें देखें:
-
क्रेडिट कार्ड बकाया: 36% से 45% प्रति वर्ष।
-
पर्सनल लोन: 12% से 24% प्रति वर्ष।
-
गोल्ड लोन: 10% से 18% प्रति वर्ष।
जब आप निवेश पर 5% कमा रहे हैं और कर्ज पर 20% चुका रहे हैं, तो आप हर साल अपने फंड का एक बड़ा हिस्सा गंवा रहे हैं। ऐसी स्थिति में एफडी तोड़कर लोन चुकाना एक 'गारंटीड रिटर्न' की तरह काम करता है।
कब FD तोड़ना 'मास्टरस्ट्रोक' साबित होगा?
-
क्रेडिट कार्ड और अनसिक्योर्ड लोन: यदि आपके ऊपर क्रेडिट कार्ड का कर्ज है, तो बिना सोचे एफडी तोड़ना ही सही है। क्रेडिट कार्ड का ब्याज चक्र (Interest Cycle) बहुत घातक होता है।
-
टैक्स बेनिफिट का अभाव: पर्सनल लोन या कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन पर कोई टैक्स छूट नहीं मिलती। यहाँ ब्याज बचाना ही आपकी शुद्ध कमाई है।
-
प्री-पेमेंट पेनल्टी का कम होना: कई बार बैंक लोन के प्री-पेमेंट पर चार्ज लेते हैं और एफडी तोड़ने पर 0.5% से 1% की पेनल्टी। यदि लोन पर बचने वाला ब्याज इन दोनों शुल्कों से अधिक है, तो भुगतान कर देना ही बेहतर है।
कब सावधानी बरतनी जरूरी है?
हर स्थिति में एफडी तोड़ना सही नहीं होता। इन परिस्थितियों में रुकना बेहतर है:
-
आपातकालीन निधि (Emergency Fund): यदि आपकी एफडी ही आपका एकमात्र बैकअप है, तो उसे कभी न छुएं। लोन चुकाने के बाद यदि अचानक कोई मेडिकल इमरजेंसी आ जाए, तो आपको फिर से महंगा लोन लेना पड़ेगा।
-
होम लोन (Home Loan): होम लोन पर मिलने वाली टैक्स छूट (धारा 80C और 24b) इसे काफी सस्ता बना देती है। प्रभावी रूप से होम लोन की दर अक्सर एफडी के रिटर्न के बराबर या उससे थोड़ी ही ज्यादा होती है।
-
लक्ष्य आधारित निवेश: यदि एफडी किसी बड़े लक्ष्य (जैसे बच्चे की उच्च शिक्षा या बेटी की शादी) के लिए है, तो उसे तोड़ने से आपका भविष्य का वित्तीय ढांचा बिगड़ सकता है।