जब भी वैश्विक वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता और तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है, तो निवेशकों का रुझान स्वाभाविक रूप से सुरक्षित निवेश साधनों की ओर बढ़ जाता है। इस साल कीमती धातुओं में खासकर सोना और चांदी दोनों में दमदार तेजी देखने को मिली, लेकिन चांदी ने अपनी अप्रत्याशित चमक से न केवल गोल्ड को पीछे छोड़ दिया, बल्कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नया इतिहास रच डाला है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर चांदी के दाम 2 लाख रुपये प्रति किलो के करीब पहुंच चुके हैं, जो अब तक के सर्वोच्च स्तरों में से एक है। दिसंबर महीने की शुरुआत से ही चांदी में रफ्तार ऐसी रही कि कुछ ही कारोबारी सत्रों में यह हजारों रुपये प्रति किलो उछल गई और निवेशकों एवं ट्रेडरों का ध्यान पूरी तरह खींच लिया।
सोने के मुकाबले चांदी की चमक ज्यादा तेज
कमोडिटी विशेषज्ञों के अनुसार चांदी की इस ऐतिहासिक तेजी के कई कारण एकसाथ मिलकर काम कर रहे हैं। सबसे बड़ा कारण है औद्योगिक मांग में तेजी। आज चांदी सिर्फ आभूषण या सिक्कों में इस्तेमाल होने वाली धातु नहीं है, बल्कि यह इलेक्ट्रिक वाहनों, सोलर पैनल, सेमीकंडक्टर्स, मेडिकल उपकरण, डेटा सेंटर और विभिन्न हाई-टेक इंडस्ट्रीज की एक महत्वपूर्ण जरूरत बन चुकी है।
दुनिया तेजी से ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ रही है, और सोलर पैनल में चांदी का उपयोग हर साल बढ़ रहा है। यही वजह है कि आने वाले कई वर्षों में भी चांदी की मांग लगातार बढ़ने का अनुमान है। इसके समानांतर वैश्विक स्तर पर चांदी की सप्लाई सीमित होती जा रही है। कई प्रमुख माइनिंग देशों में उत्पादन दबाव में है। साथ ही चांदी के लीज रेट्स बढ़ना इस बात का साफ संकेत है कि बाजार में उपलब्धता कम हो रही है—और यही स्थिति कीमतों को नई ऊंचाइयों पर धकेल रही है।
फेड की ब्याज दर कटौती ने बढ़ाई रफ्तार
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चांदी का रुझान बेहद तेज बना हुआ है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा लगातार तीसरी बार 25 बेसिस प्वाइंट की ब्याज दर में कटौती ने डॉलर को कमजोर कर दिया। आमतौर पर डॉलर कमजोर होने पर कीमती धातुओं में तेजी तेज हो जाती है। इसी का असर यह रहा कि बुधवार को MCX पर चांदी में 1 दिन में 6,595 रुपये की ऐतिहासिक छलांग लगी और यह 1,85,488 रुपये प्रति किलो के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चांदी 61 डॉलर प्रति औंस के ऊपर निकल गई है, जो अब तक के सर्वाधिक स्तरों में शामिल है। इससे पहले, 8 दिसंबर को भी चांदी ने 1,79,088 रुपये प्रति किलो का उच्च स्तर छुआ था।
घरेलू बाजार में चमक बढ़ाने वाले कारक
घरेलू स्तर पर भी कई ऐसे फैक्टर हैं जिन्होंने चांदी की कीमतों को नई ऊंचाई दी है:
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भारतीय रुपये में कमजोरी
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त्योहारी और विवाह सीजन की भारी मांग
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सिल्वर ETFs में लगातार इनफ्लो
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बाजार में जोखिम से बचाव (Risk-Off) की प्रवृत्ति
इन सभी कारणों ने मिलकर चांदी को घरेलू निवेशकों और ट्रेडरों के लिए आकर्षक विकल्प बना दिया है। खासकर ऐसे समय में जब इक्विटी बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है, चांदी जैसे सुरक्षित और औद्योगिक मूल्य की धातु में निवेश बढ़ रहा है।
क्या चांदी 2 लाख रुपये का आंकड़ा पार कर पाएगी?
अब बाजार की सबसे बड़ी चर्चा यह है कि क्या चांदी आने वाले दिनों में 2 लाख रुपये प्रति किलो का स्तर पार कर देगी। विशेषज्ञों की मानें तो मौजूदा वैश्विक स्थिति, औद्योगिक मांग, निवेशक सेंटीमेंट और घरेलू खरीदारी को देखते हुए चांदी की रफ्तार फिलहाल धीमी पड़ती नजर नहीं आ रही है। हालांकि कुछ विश्लेषकों का कहना है कि इतनी तेज रैली के बाद अल्प अवधि में मुनाफावसूली देखने को मिल सकती है, लेकिन लंबी अवधि में चांदी की चमक बरकरार रहने की पूरी उम्मीद है।