दुनियाभर के साथ-साथ भारत में भी क्रिसमस 2025 का त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। हालांकि, इस खुशी के बीच देश के कुछ हिस्सों से ईसाई समुदाय पर कथित हमलों और असहिष्णुता की खबरों ने उत्सव के रंग में भंग डाल दिया है। इन घटनाओं पर तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने गहरा दुख और कड़ा विरोध जताया है।
"साझा संस्कृति और संवैधानिक गारंटी पर हमला"
शशि थरूर ने गुरुवार को जारी अपने बयान में कहा कि भारत के कुछ हिस्सों में क्रिसमस का त्योहार "डर और चिंता" के साये में मनाया गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह की हिंसा केवल एक विशेष धार्मिक समुदाय पर नहीं, बल्कि भारत की साझा संस्कृति (Composite Culture) और विविधता पर हमला है।
थरूर ने कहा:
"जब हमारी परंपराओं पर प्रहार होता है, तो केवल ईसाई समाज ही नहीं, बल्कि हर भारतीय प्रभावित होता है। यह हमारी पूजा की स्वतंत्रता और आस्था की स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी का सीधा उल्लंघन है। हमें अपने ईसाई भाइयों के साथ मजबूती से खड़ा होना चाहिए।"
केरल की घटनाओं पर जताई चिंता
शशि थरूर ने विशेष रूप से अपने गृह राज्य केरल के पलक्कड़ जिले के पुडुस्सेरी में हुई एक घटना का जिक्र किया। रिपोर्टों के अनुसार, वहां एक क्रिसमस कैरल समूह पर कथित तौर पर हमला किया गया और तोड़फोड़ की गई। थरूर ने आरोप लगाया कि इस घटना में एक राजनीतिक कार्यकर्ता शामिल था, जिसने उत्सव मना रहे लोगों को पीटा।
थरूर ने स्पष्ट किया कि यद्यपि केरल के अधिकांश हिस्सों में भाईचारे का माहौल रहा, लेकिन पुडुस्सेरी जैसी घटनाओं ने पूरे राज्य को सदमे में डाल दिया है। उन्होंने इसे "असहिष्णुता का बढ़ता राष्ट्रीय चलन" करार दिया, जो देश के लोकतांत्रिक ढांचे के लिए चिंताजनक है।
समावेशी भारत का सुखद अनुभव
अपनी चिंता व्यक्त करने के साथ ही शशि थरूर ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में क्रिसमस के सुखद अनुभवों को भी साझा किया। वे कई चर्चों में गए और प्रार्थना सभाओं में शामिल हुए। उन्होंने सेंट मैरी चर्च के अपने अनुभव का जिक्र करते हुए बताया कि सिरो-मलंकरा चर्च के प्रमुख आर्कबिशप कार्डिनल क्लीमिस ने उन्हें मंच पर बुलाकर केक खिलाया।
थरूर ने कहा कि पिछले 17 वर्षों से सांसद के तौर पर वे अपने क्षेत्र के हर समुदाय के साथ एकजुटता दिखाना अपना बुनियादी कर्तव्य मानते हैं। उनके अनुसार, यही वह असली भारत है जिसे बचाने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
शशि थरूर का यह बयान देश में बढ़ती धार्मिक ध्रुवीकरण की घटनाओं की ओर ध्यान आकर्षित करता है। क्रिसमस पर हुई ये घटनाएं एक चेतावनी की तरह हैं कि यदि समाज में सौहार्द और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा नहीं की गई, तो भारत की बहुलतावादी पहचान को गंभीर खतरा हो सकता है। थरूर ने अंत में सभी भारतीयों से अपील की कि वे नफरत के खिलाफ खड़े हों और प्रेम व भाईचारे के संदेश को आगे बढ़ाएं।