भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर देश में लंबे समय से अटकलें लगाई जा रही हैं। फिलहाल यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है कि अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होंगे। वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जून 2024 में समाप्त हो चुका है, लेकिन संगठन चुनावों के कारण अध्यक्ष पद का चुनाव अभी तक नहीं हो पाया है। पिछले कुछ महीनों में पार्टी के कई राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव हुए हैं, जिससे अब राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया तेज होने की संभावना बनी है।
क्यों हो रही देरी?
बीजेपी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले कम से कम आधे से अधिक राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव हो जाना आवश्यक है। कुल 37 राज्यों में से अब तक 26 प्रदेश अध्यक्ष चुने जा चुके हैं। शेष राज्यों में गुजरात, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा और नॉर्थ-ईस्ट के प्रदेश अध्यक्ष पदों पर चुनाव शेष हैं। खासतौर पर उत्तर प्रदेश और गुजरात में प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव न होने के कारण राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव में देरी हो रही है।
पार्टी इन दोनों प्रमुख राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर रणनीतिक तैयारियों में जुटी है। यहां राजनीतिक संदेश देने के साथ जातीय समीकरण साधने की भी कोशिश चल रही है। जब तक इन राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष पदों पर नाम तय नहीं होगा, तब तक राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव टल सकता है।
इसके अलावा संसद का मानसून सत्र (21 जुलाई से 12 अगस्त) भी एक वजह है कि पार्टी चुनाव को सत्र से पहले कराने की कोशिश कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे से लौटने के बाद यह चुनाव संभव है, अन्यथा 15 अगस्त तक टल सकता है।
चर्चित दावेदार कौन-कौन हैं?
बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए कई नाम चर्चा में हैं। इनमें प्रमुख चार नाम सबसे अधिक सुने जा रहे हैं:
1. शिवराज सिंह चौहान
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम सबसे अधिक चर्चा में है। वे आरएसएस की पहली पसंद माने जाते हैं। मास लीडर और लोकप्रिय नेता के रूप में उनकी छवि मजबूत है। शिवराज का संगठन और प्रशासनिक अनुभव भी काफी लंबा है। वे 1991 से राजनीति में सक्रिय हैं और लगभग चार बार मुख्यमंत्री पद पर रह चुके हैं।
2. मनोहर लाल खट्टर
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर भी इस पद के लिए मजबूत दावेदार हैं। वे पीएम मोदी और आरएसएस की पसंद हैं। हालांकि उनकी कार्यशैली में कभी-कभी विवादास्पद बातें सामने आई हैं, लेकिन उनकी ईमानदार छवि पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है।
3. धर्मेंद्र प्रधान
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का नाम भी इस सूची में है। ओडिशा से आने वाले धर्मेंद्र प्रधान को पार्टी और सरकार दोनों की तरफ से समर्थन प्राप्त है। उन्होंने लोकसभा और राज्यसभा दोनों में कार्य किया है। पीएम मोदी और आरएसएस के करीबी माने जाते हैं।
4. सुनील बंसल
राजस्थान के सुनील बंसल फिलहाल पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं और ओडिशा, बंगाल, तेलंगाना जैसे राज्यों के प्रभारी भी। 2014 में यूपी में बीजेपी की सरकार बनाने में उनकी बड़ी भूमिका रही। वे संगठन और चुनाव रणनीति में दक्ष हैं और अमित शाह के करीबी माने जाते हैं।
आगे का रास्ता
जैसे-जैसे राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष चुनाव पूरे होंगे, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना बढ़ेगी। इसके लिए केंद्रीय चुनाव समिति का गठन होगा जो नामांकन, जांच और मतदान की प्रक्रिया संचालित करेगी। संगठन चुनावों के बिना राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव संभव नहीं है, इसलिए संगठन चुनावों की पूरी प्रक्रिया के बाद ही नया अध्यक्ष चुना जाएगा।
इस बार की प्रक्रिया में राजनीतिक समीकरण, जातीय और क्षेत्रीय संतुलन, नेतृत्व की लोकप्रियता और संगठनिक क्षमता को ध्यान में रखा जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरों और संसद के मानसून सत्र को देखते हुए पार्टी चुनाव को समयबद्ध तरीके से कराना चाहेगी।