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89 विमान, 14 जहाज और 4 वॉरशिप…ताइवान को घेरने के लिए चीन की सबसे बड़ी मिलिट्री ड्रिल

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Posted On:Tuesday, December 30, 2025

एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव एक बार फिर अपने चरम पर है। चीन ने ताइवान की घेराबंदी करते हुए अब तक का सबसे भीषण और व्यापक सैन्य अभ्यास शुरू किया है, जिसे 'जस्टिस मिशन 2025' नाम दिया गया है। सोमवार से शुरू हुआ यह अभ्यास न केवल शक्ति प्रदर्शन है, बल्कि ताइवान को बाहरी दुनिया से पूरी तरह अलग-थलग करने (Blockade) की एक सोची-समझी रिहर्सल भी है।

'जस्टिस मिशन 2025': ताइवान की पूर्ण घेराबंदी

चीन के ईस्टर्न थिएटर कमांड के नेतृत्व में चल रहे इस युद्धाभ्यास में थलसेना, नौसेना और वायुसेना के साथ-साथ रॉकेट फोर्स भी शामिल है। इसका मुख्य उद्देश्य ताइवान के प्रमुख बंदरगाहों को सील करना और अंतरराष्ट्रीय जलमार्गों पर नियंत्रण स्थापित करना है।

  • सैन्य जमावड़ा: ताइवान के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, सोमवार को द्वीप के आसपास चीन के 89 लड़ाकू विमान, 14 युद्धपोत और 14 कोस्ट गार्ड नावें देखी गईं।

  • लाइव फायरिंग जोन: चीन ने ताइवान के चारों ओर 7 समुद्री क्षेत्रों को 'एक्सरसाइज जोन' घोषित किया है। पहले यह संख्या 5 थी, लेकिन अभ्यास के विस्तार के साथ इसे बढ़ा दिया गया। इन क्षेत्रों में लाइव मिसाइल फायरिंग और तोपखाने का परीक्षण किया जा रहा है।


आम जनजीवन और उड़ानें प्रभावित

चीन की इस आक्रामक कार्रवाई का असर केवल सैन्य स्तर पर ही नहीं, बल्कि वैश्विक परिवहन पर भी पड़ा है।

  1. उड़ानें रद्द: चीन के परिवहन मंत्रालय के मुताबिक, इस युद्धाभ्यास के कारण 1 लाख से अधिक अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की उड़ानें प्रभावित हुई हैं।

  2. घरेलू असर: लगभग 80 घरेलू उड़ानें सुरक्षा कारणों से रद्द कर दी गई हैं, जिससे क्षेत्र में नागरिक उड्डयन सेवा पूरी तरह चरमरा गई है।

भविष्य की तकनीक: रोबोटिक कुत्तों और ड्रोन्स का प्रदर्शन

इस बार के अभ्यास में चीन ने पारंपरिक हथियारों के साथ-साथ भविष्य की युद्ध तकनीक का भी प्रदर्शन किया है। चीन ने पहली बार ह्यूमनॉइड रोबोट, माइक्रो ड्रोन और हथियारों से लैस रोबोटिक कुत्तों को मैदान में उतारा। इन रोबोटिक कुत्तों को ताइवान की गलियों में शहरी युद्ध (Urban Warfare) करने के परिदृश्य में दिखाया गया, जो मनोवैज्ञानिक युद्ध का एक हिस्सा है।

कूटनीतिक उबाल: अमेरिका और जापान का रुख

यह अभ्यास अकारण नहीं है। इसके पीछे दो प्रमुख घटनाएं हैं:

  • अमेरिकी मदद: महज 11 दिन पहले अमेरिका ने ताइवान को 11.1 अरब डॉलर के अत्याधुनिक हथियार देने का एलान किया था। चीन ने इसे 'रेड लाइन' पार करना बताया है।

  • जापान की चेतावनी: जापान के प्रधानमंत्री साने ताकाइची के हालिया बयान ने भी आग में घी डालने का काम किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि ताइवान पर हमला होने की स्थिति में जापान सैन्य हस्तक्षेप कर सकता है।

ताइवान की प्रतिक्रिया: 'हाई अलर्ट' पर सेना

ताइवान ने चीन की इस हरकत को क्षेत्रीय शांति के लिए गंभीर खतरा बताया है। ताइवान की सेना अब 'हाई अलर्ट' पर है और उसने भी अपने रक्षात्मक हथियारों का प्रदर्शन किया है। विशेष रूप से अमेरिका से मिले HIMARS रॉकेट सिस्टम को तैनात किया गया है, जो चीन के तटीय इलाकों तक सटीक मार करने में सक्षम है। ताइवान का स्पष्ट कहना है कि उसके भविष्य का फैसला सिर्फ वहां के नागरिक करेंगे, न कि बीजिंग का दबाव।

निष्कर्ष

2022 के बाद से यह चीन का छठा बड़ा अभ्यास है, लेकिन इसका पैमाना और तकनीक इसे सबसे खतरनाक बनाती है। 'जस्टिस मिशन 2025' केवल ताइवान के लिए ही नहीं, बल्कि अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए भी एक सीधी चुनौती है। यदि यह तनाव और बढ़ता है, तो यह वैश्विक अर्थव्यवस्था और सुरक्षा के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है।


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