अमेरिका में नागरिकता को लेकर जारी विवाद एक बार फिर अदालत की चौखट तक पहुंच गया है। इस बार न्यू हैम्पशायर की संघीय अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जन्मसिद्ध नागरिकता (Birthright Citizenship) को सीमित करने वाले कार्यकारी आदेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। अमेरिकी जिला जज जोसेफ एन. लाप्लांटे ने अपने आदेश में कहा कि यह कार्यकारी निर्णय बच्चों के अधिकारों और संविधान के 14वें संशोधन का उल्लंघन करता है।
गौरतलब है कि इससे पहले फरवरी 2025 में मैरीलैंड की फेडरल जज डेबोरा बोर्डमैन ने भी ट्रंप के आदेश पर अस्थायी रोक लगाई थी। लेकिन न्यू हैम्पशायर के ताजा आदेश ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है।
क्या है ट्रंप का जन्मसिद्ध नागरिकता वाला आदेश?
20 जनवरी 2025 को राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने एक विवादास्पद कार्यकारी आदेश जारी किया था – जिसका नाम था:
“Protecting the Meaning and Value of American Citizenship”।
इस आदेश के अनुसार:
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अमेरिका में अवैध प्रवासियों या अस्थायी वीजा (जैसे H-1B, F-1, टूरिस्ट वीजा) पर आए लोगों के यहां जन्म लेने वाले बच्चों को अमेरिकी नागरिकता नहीं दी जाएगी।
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यह आदेश 20 फरवरी 2025 के बाद जन्म लेने वाले सभी बच्चों पर लागू होता।
ट्रंप का कहना है कि 14वें संशोधन को अवैध प्रवासियों पर लागू नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे अमेरिका की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और संसाधनों पर दबाव बढ़ता है।
कोर्ट ने क्यों लगाई रोक?
अमेरिकी सिविल लिबर्टीज यूनियन (ACLU), अन्य मानवाधिकार संगठनों, एक गर्भवती महिला और उनके अमेरिका में जन्मे बच्चों के माता-पिता ने इस आदेश को अदालत में चुनौती दी।
मुख्य तर्क यह था कि:
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ट्रंप का आदेश संविधान के 14वें संशोधन का उल्लंघन करता है।
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14वें संशोधन के मुताबिक, "जो भी व्यक्ति अमेरिका में जन्मा है और अमेरिका के अधिकार क्षेत्र में आता है, वह स्वाभाविक रूप से अमेरिकी नागरिक होता है।"
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यह प्रावधान जातीय भेदभाव को खत्म करने के लिए लाया गया था और आज भी सभी के लिए लागू है।
जज लाप्लांटे ने इस आदेश को बच्चों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताया और कहा कि संघीय अदालत के अंतिम निर्णय तक इस पर रोक लागू रहेगी। हालांकि, ट्रंप प्रशासन को 7 दिनों के भीतर अपील करने का अधिकार दिया गया है।
आदेश का प्रभाव किस पर पड़ेगा?
ट्रंप के आदेश से अमेरिका में बसे 1.3 करोड़ अवैध अप्रवासी परिवार प्रभावित हो सकते हैं। इनमें से लाखों की संख्या में भारतीय प्रवासी भी हैं जो H-1B, H-4 या अन्य अस्थायी वीजा पर अमेरिका में रह रहे हैं।
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इससे ग्रीन कार्ड बैकलॉग में फंसे भारतीयों की समस्याएं और बढ़ जाएंगी।
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अमेरिका में जन्मे बच्चों की नागरिकता अधर में लटक जाएगी।
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शिक्षा, स्वास्थ्य और नागरिक अधिकारों तक उनकी पहुंच मुश्किल हो सकती है।
कानूनी और राजनीतिक टकराव
यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं बल्कि राजनीतिक रूप से भी गर्म मुद्दा बन चुका है।
ट्रंप समर्थक इसे अमेरिका की सुरक्षा और संस्कृति की रक्षा का कदम मानते हैं, जबकि विरोधी इसे नस्लीय और मानवाधिकारों के खिलाफ मानते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का क्या रुख है?
जून 2025 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों की रोक को लेकर कहा था कि:
“कोई निचली अदालत ट्रंप के आदेश को पूरे देश में लागू या अस्वीकार नहीं कर सकती। इस पर पुनर्विचार होना चाहिए।”
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक इस आदेश पर अंतिम फैसला नहीं सुनाया है। इसलिए निचली अदालतों के निर्णय के आधार पर ही यह आदेश पूरे देश में आंशिक रूप से रुका हुआ है।
निष्कर्ष
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ट्रंप का आदेश अमेरिकी नागरिकता के अधिकार पर सीधा हमला है, जिसे संविधान के 14वें संशोधन से संरक्षण मिला है।
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कोर्ट की रोक नागरिक स्वतंत्रता और बच्चों के अधिकारों की जीत मानी जा रही है।
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मामला अभी अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय का इंतजार कर रहा है, जिससे यह तय होगा कि अमेरिका में जन्म लेने वाले हर बच्चे को जन्मसिद्ध नागरिकता मिलेगी या नहीं।