मुंबई, 09 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी गुरुवार को एक हफ्ते की आधिकारिक यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे। अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद यह काबुल से दिल्ली तक पहली मंत्री स्तर की यात्रा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्वागत करते हुए कहा कि भारत मुत्तकी के साथ द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय मुद्दों पर बातचीत के लिए उत्सुक है। मुत्तकी की यात्रा राजनीतिक चर्चा के साथ-साथ कूटनीतिक चुनौतियां भी पेश कर रही है। शुक्रवार को उनकी विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मिलने की संभावना है, लेकिन भारत ने तालिबान-शासित अफगानिस्तान को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है। इससे यह सवाल उठता है कि बैठक में किस झंडे का उपयोग किया जाएगा। भारत के कूटनीतिक प्रोटोकॉल के अनुसार, बैठक में मेजबान और मेहमान देश दोनों के झंडे होने चाहिए, लेकिन तालिबान को मान्यता न देने के कारण अधिकारी इस मामले का हल खोजने में लगे हुए हैं।
मुत्तकी का दौरा केवल राजनीतिक नहीं है, बल्कि वे सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों का भी भ्रमण करेंगे। 11 अक्टूबर को वे सहारनपुर के दारुल उलूम देवबंद मदरसे जाएंगे, जो मुस्लिम समाज में महत्वपूर्ण विचारधारा का केंद्र माना जाता है। इसके बाद 12 अक्टूबर को आगरा में ताजमहल का दौरा करेंगे और नई दिल्ली में उद्योग और व्यापार प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे। राजनीतिक स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण बैठक 10 अक्टूबर को हैदराबाद हाउस में होगी, जहां मुत्तकी की मुलाकात विदेश मंत्री एस. जयशंकर से तय है। उन्हें इस दौरान आधिकारिक विदेश मंत्री के समान प्रोटोकॉल दिया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुत्तकी की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी मुलाकात हो सकती है, जिसमें सुरक्षा, आतंकवाद निरोध, मानवीय सहायता, वीजा और व्यापार से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। तालिबान सरकार को भारत की ओर से मान्यता अभी तक नहीं मिली है। 2021 में अमेरिकी वापसी और तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत ने काबुल का अपना दूतावास बंद कर दिया था। इसके बावजूद दोनों देशों के बीच बैकडोर कूटनीति जारी रही। मुत्तकी के इस दौरे में अफगानिस्तान में मानवीय सहायता, वीजा, व्यापार, ड्राय फ्रूट एक्सपोर्ट, चाबहार-रूट, पोर्ट-लिंक, रीजनल सिक्योरिटी और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर बातचीत होने की संभावना है।