हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि, जिसे नरक चतुर्दशी कहा जाता है, इस वर्ष एक दुर्लभ संयोग बना रही है। इस पावन तिथि को छोटी दिवाली और रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा और स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को सौंदर्य, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। वर्ष 2025 में नरक चतुर्दशी की तिथि 19 और 20 अक्टूबर दोनों दिन मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, चतुर्दशी तिथि का आरंभ 19 अक्टूबर 2025 को दोपहर 01:51 बजे होगा और इसका समापन अगले दिन 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 03:44 बजे होगा। इस गणना के चलते, पूजा और स्नान के मुहूर्त अलग-अलग तिथियों पर पड़ रहे हैं।
पूजा और अभ्यंग स्नान के शुभ मुहूर्त
चूंकि चतुर्दशी तिथि 19 अक्टूबर की दोपहर से शुरू हो रही है, इसलिए नरक चतुर्दशी की पूजा 19 अक्टूबर की रात को की जाएगी। वहीं, रूप चौदस का महत्वपूर्ण अभ्यंग स्नान 20 अक्टूबर की भोर में किया जाएगा।
अनुष्ठान तिथि शुभ मुहूर्त
- नरक चतुर्दशी पूजा 19 अक्टूबर 2025 गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:58 से 06:23 बजे तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02:07 से 02:53 बजे तक
- रूप चौदस अभ्यंग स्नान 20 अक्टूबर 2025 सूर्योदय से पहले प्रातःकाल 05:13 से 06:25 बजे तक
इस वर्ष नरक चतुर्दशी पर अमृतसिद्धि योग और सर्वार्थसिद्धि योग जैसे अत्यंत शुभ योग भी बन रहे हैं। इन विशेष योगों में की गई पूजा और नए कार्यों की शुरुआत अत्यंत फलदायी मानी जाती है।
पौराणिक महत्व और रूप चौदस का विधान
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अत्याचारी असुर नरकासुर का वध किया था और उसकी कैद से 16,000 कन्याओं को मुक्त कराया था। नरकासुर पर मिली इसी विजय के उपलक्ष्य में दीप जलाए गए थे, और यह परंपरा आज भी छोटी दिवाली के रूप में जारी है। इस दिन हनुमानजी, यमराज और श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। रूप चौदस के दिन सुबह जल्दी उठकर उबटन लगाने और तिल-तेल अथवा कड़वे पत्तों (जैसे नीम) मिले जल से स्नान करने की परंपरा है। इस स्नान को अभ्यंग स्नान कहते हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि इससे व्यक्ति के रूप-लावण्य और तेज में वृद्धि होती है। स्नान के पश्चात सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करना विशेष पुण्यदायी माना गया है।