पंजाब कांग्रेस के भीतर एक बार फिर से तनाव और अंदरूनी कलह की स्थिति बनती दिख रही है। इसकी मुख्य वजह पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री रहे नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी, डॉ. नवजोत कौर सिद्धू द्वारा प्रदेश कांग्रेस संगठन और पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ की जा रही तीखी बयानबाजी है, जिसने अब तूल पकड़ लिया है।
पंजाब कांग्रेस की ओर से सिद्धू दंपति की इस आक्रामक बयानबाजी और उससे पार्टी को हो रहे संभावित नुकसान की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करके पार्टी के प्रदेश प्रभारी भूपेश बघेल को भेजी गई है।
रिपोर्ट में सिद्धू दंपति की निष्क्रियता का ज़िक्र
भूपेश बघेल को सौंपी गई इस रिपोर्ट में डॉ. नवजोत कौर सिद्धू के हालिया बयानों पर प्रमुखता से ज़ोर दिया गया है। इसके अलावा, पिछले चार सालों के दौरान पार्टी के कार्यक्रमों में नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी की सक्रियता और भागीदारी की कमी को भी उजागर किया गया है। रिपोर्ट में यह दर्शाया गया है कि पार्टी को एकजुट करने के प्रयासों के बावजूद, सिद्धू दंपति पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी कर रहे हैं और संगठनात्मक गतिविधियों से दूर रहे हैं।
2022 की तकरार का उल्लेख
इस ताज़ा रिपोर्ट में वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से जुड़ी पुरानी तकरार का भी ज़िक्र किया गया है। इसमें तत्कालीन प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी द्वारा पार्टी आलाकमान को लिखे गए एक पत्र को शामिल किया गया है। उस पत्र में यह बताया गया था कि नवजोत सिंह सिद्धू और तत्कालीन मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के बीच जारी लगातार तकरार और भ्रम की स्थिति ने कांग्रेस को 2022 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने के लिए मजबूर किया था। चौधरी की वह पुरानी रिपोर्ट और चिट्ठी एक बार फिर इस नई रिपोर्ट का हिस्सा बनाई गई है, जो यह दर्शाती है कि सिद्धू की कार्यशैली और बयानबाजी का पैटर्न पार्टी के लिए लंबे समय से समस्या बना हुआ है।
'पार्टी को हो रहा भारी नुकसान'
पंजाब कांग्रेस द्वारा बघेल को भेजी गई इस वर्तमान रिपोर्ट में सीधे तौर पर यह लिखा गया है कि सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू के बयानों से पार्टी को खासा नुकसान हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ सालों में नवजोत सिंह सिद्धू भी अक्सर पार्टी लाइन से हटकर या पंजाब कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ बयान देते रहे हैं, और उनके ऐसे बयानों से पार्टी की छवि को लगातार क्षति पहुंची है।
रिपोर्ट में पार्टी आलाकमान को यह सलाह भी दी गई है कि बागी तेवर दिखा रहे सिद्धू दंपति को अनुशासन में रखना बेहद आवश्यक है। यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो पंजाब में साल 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की छवि और प्रदेश संगठन की विश्वसनीयता को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
प्रदेश अध्यक्ष पर सीधा हमला
पंजाब कांग्रेस में हाल ही में तब बड़ी हलचल मची थी जब डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने सोशल मीडिया के माध्यम से पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उन्होंने वडिंग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि वह उन्हें पंजाब का कांग्रेस अध्यक्ष नहीं मानती हैं, और उन्हें एक "बेपरवाह, गैर-जिम्मेदार, नैतिक रूप से बेईमान और भ्रष्ट अध्यक्ष" करार दिया था।