मुंबई, 15 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। राजस्थान में एक बार फिर भील प्रदेश की मांग को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। भारतीय आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भील प्रदेश का नक्शा जारी करते हुए एक बार फिर से अलग राज्य की मांग दोहराई। उन्होंने कहा कि गोविंद गुरु के नेतृत्व में 1913 में मानगढ़ पर 1500 से अधिक आदिवासी शहीद हुए थे और उनके सम्मान में भील प्रदेश राज्य बनाना अब आवश्यक हो गया है। रोत ने लिखा कि आजादी के बाद भील समुदाय को चार राज्यों में बांटकर उनके साथ अन्याय किया गया। उन्होंने कहा कि भील समुदाय की अपनी अलग भाषा, बोली, संस्कृति और परंपराएं हैं जो अन्य प्रदेशों से भिन्न हैं। ऐसे में इस अनूठी आदिवासी सभ्यता को बचाने और संरक्षित करने के लिए अलग भील राज्य की मांग आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी आजादी से पहले थी।
सांसद रोत ने यह भी कहा कि डूंगरपुर, बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के कई जिले भी भील प्रदेश में शामिल किए जाने चाहिएं। उनका दावा है कि कुल मिलाकर इन चार राज्यों के 43 जिलों को मिलाकर भील प्रदेश की परिकल्पना की गई है। उन्होंने कहा कि भील समाज ने लंबे समय से इस मांग को लेकर आवाज उठाई है, लेकिन अब तक उसे अनसुना किया गया। राजस्थान के वागड़ क्षेत्र में बड़ी संख्या में आदिवासी इस मांग के समर्थन में हैं और बीते कुछ वर्षों में कई आंदोलन भी हो चुके हैं। यह मांग सिर्फ स्थानीय लोगों की ही नहीं, बल्कि भारतीय आदिवासी पार्टी के स्तर से भी केंद्र सरकार के समक्ष बार-बार रखी जाती रही है।