दशहरे के शुभ दिन तुर्की में एक बार फिर भूकंप के तीव्र झटके महसूस किए गए। गुरुवार को स्थानीय समयानुसार तुर्की के मरमारा सागर में रिक्टर स्केल पर 5.0 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। यह इलाका तुर्की के सबसे बड़े शहर इस्तांबुल के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है और भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जाता है क्योंकि यह एक फॉल्ट लाइन के करीब स्थित है।
भूकंप से कांपा इस्तांबुल
तुर्की की आपदा और आपातकालीन प्रबंधन एजेंसी AFAD के मुताबिक, भूकंप का केंद्र मरमारा सागर में था। भूकंप के झटके इस्तांबुल शहर में भी महसूस किए गए, जहां की आबादी लगभग 1.6 करोड़ (16 मिलियन) है। जैसे ही धरती हिली, लोगों में अफरा-तफरी मच गई और बड़ी संख्या में लोग अपने घरों और दफ्तरों से बाहर सड़कों पर निकल आए।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, भूकंप की गहराई अधिक नहीं थी, इसलिए झटके तेज़ महसूस किए गए, खासकर बहुमंज़िला इमारतों में। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर अपने अनुभव साझा किए और कुछ स्थानों पर हल्के नुकसान की भी खबरें आईं। हालांकि अब तक किसी के हताहत होने या बड़ी क्षति की पुष्टि नहीं हुई है, जो राहत की बात है।
हाल ही में आया था एक और भूकंप
गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले, तुर्की के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र कुटाह्या प्रांत के सिमाव शहर के पास भी 5.4 तीव्रता का भूकंप आया था। यह भूकंप 8 किलोमीटर गहराई पर दर्ज किया गया था और इसके तुरंत बाद 4.0 तीव्रता का एक और झटका महसूस किया गया था। यह घटना भी दिन के उजाले में घटी थी, जिससे लोग ज्यादा घबराए हुए दिखाई दिए।
फॉल्ट लाइन बना चिंता का कारण
AFAD और भूकंप विशेषज्ञों ने यह स्पष्ट किया है कि मरमारा सागर के नीचे मौजूद फॉल्ट लाइन भविष्य में बड़े भूकंप का कारण बन सकती है। यह वही क्षेत्र है जो इस्तांबुल के बेहद नज़दीक है और वहां की घनी आबादी को ध्यान में रखते हुए यह एक गंभीर खतरा बन चुका है।
तुर्की की भूगर्भिक स्थिति इसे दुनिया के सबसे ज्यादा भूकंप संभावित देशों में से एक बनाती है। देश की सतह पर कई प्रमुख टेक्टॉनिक प्लेट्स टकरा रही हैं, जिससे आए दिन छोटे-बड़े भूकंप आते रहते हैं।
2023 की तबाही अभी भूली नहीं
वर्ष 2023 में तुर्की ने इतिहास के सबसे भयावह भूकंपों में से एक का सामना किया था, जब देश के दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी हिस्से में 7.8 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया था। इस त्रासदी में 53,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, जबकि 11 प्रांतों में लाखों इमारतें नष्ट हो गई थीं। इस भूकंप का असर सीरिया तक गया, जहां करीब 6,000 लोगों की जान गई थी।
निष्कर्ष: खतरे की घंटी
दशहरे के दिन आया यह भूकंप एक सावधान करने वाला संकेत है कि तुर्की की धरती फिर से सक्रिय हो रही है। भले ही इस बार कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन यह घटना दिखाती है कि इस्तांबुल जैसे बड़े शहरों को सुरक्षित बनाने के लिए ठोस और त्वरित कदम उठाने होंगे।