रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुलकर सराहना की है। उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ को भी भारत के लिए बेअसर बताया और कहा कि भारत ऐसा देश है जो कभी किसी के दबाव में नहीं आता। पुतिन ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत एक स्वाभिमानी और आत्मनिर्भर राष्ट्र है, जो कभी अपना अपमान सहन नहीं करेगा।
पीएम मोदी को बताया बुद्धिमान नेता
वाल्दाई क्लब के पूर्ण सत्र में बोलते हुए पुतिन ने भारत-रूस संबंधों को "विशेष और ऐतिहासिक" बताया। उन्होंने कहा कि पिछले 15 वर्षों में दोनों देशों के बीच एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी विकसित हुई है, जिसका श्रेय काफी हद तक भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। पुतिन ने कहा:
“प्रधानमंत्री मोदी एक बुद्धिमान और दूरदर्शी नेता हैं, जो हमेशा पहले अपने देश के हितों के बारे में सोचते हैं। भारत के लोग अपने मित्रों को नहीं भूलते, और रूस के साथ उनका रिश्ता गहराई और विश्वास पर आधारित है।”
ट्रंप के टैरिफ को बताया ‘बेमतलब’
पुतिन ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 25% और फिर 50% तक के टैरिफ को लेकर कहा कि ये दबाव भारत पर कोई असर नहीं डालता। भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा है और अपनी ऊर्जा जरूरतों को प्राथमिकता दी है। ट्रंप द्वारा भारत और चीन पर लगाए गए आरोपों को पुतिन ने “राजनीतिक प्रोपेगेंडा” करार दिया।
“भारत ने जो भी फैसला किया है, वो अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए किया है। कोई भी टैरिफ या धमकी उसे उसकी नीति से नहीं डिगा सकती।”
अमेरिका और यूरोप पर तीखा हमला
पुतिन ने पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका और यूरोपियन यूनियन, पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश जानबूझकर रूस को उकसा रहे हैं और बार-बार यह भ्रम फैला रहे हैं कि रूस नाटो पर हमला करने वाला है।
“ये सारी बातें ‘हवा में निकाली बकवास’ हैं। न हमें नाटो पर हमला करना है, न ही यूरोप से युद्ध चाहिए। लेकिन अगर हमें उकसाया गया, तो हमारी प्रतिक्रिया निर्णायक और सख्त होगी।”
अमेरिका को बताया युद्ध का प्रचारक
पुतिन ने ट्रंप के उस आरोप को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि भारत और चीन रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को फंडिंग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि असल में युद्धोन्माद और हथियारों की होड़ अमेरिका और यूरोप फैला रहे हैं।
“युद्ध की जमीन तैयार की जा रही है, ताकि हथियार बिकें और भू-राजनीतिक फायदे लिए जा सकें। लेकिन रूस न तो किसी पर हमला करेगा और न ही अपनी सुरक्षा से समझौता करेगा।”
निष्कर्ष
राष्ट्रपति पुतिन का यह बयान वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती ताकत और स्वतंत्र विदेश नीति का प्रमाण है। प्रधानमंत्री मोदी को एक “बुद्धिमान और देशभक्त नेता” कहना न केवल भारत-रूस संबंधों की मजबूती को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत अब विश्व राजनीति में दबाव में आने वाला देश नहीं रहा।
पश्चिमी देशों को भी यह संकेत मिल गया है कि भारत और रूस जैसे देश अब केवल "प्रतिबंधों की धमकी" से डरने वाले नहीं हैं। रूस ने साफ कर दिया है कि उसकी संप्रभुता और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा, और भारत जैसे सहयोगी देशों के साथ उसका रिश्ता और मजबूत होता जा रहा है।