युवा भारतीय शूटर सम्राट राणा ने ISSF वर्ल्ड चैंपियनशिप इवेंट में इतिहास रचते हुए देश को गौरवशाली क्षण प्रदान किया है। मात्र 20 साल के करनाल निवासी सम्राट राणा ने 10 मीटर एयर पिस्टल प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इस जीत के साथ ही वह ओलंपिक आधारित टूर्नामेंट में वर्ल्ड चैंपियन बनने वाले पहले भारतीय पिस्टल शूटर बन गए हैं, जिसने भारत का नाम विश्व पटल पर ऊँचा कर दिया है।
सम्राट राणा का ऐतिहासिक निशाना
फाइनल मुकाबले में सम्राट राणा का आत्मविश्वास और प्रदर्शन देखने लायक था। उन्होंने अंतिम शॉट में 243.7 का स्कोर बनाया और बेहद करीबी मुकाबले में चीन के हू काई को मात्र 0.4 अंकों से पीछे छोड़ दिया। हू काई को रजत पदक से संतोष करना पड़ा। भारत के लिए एक और बड़ी उपलब्धि तब आई जब उत्तर प्रदेश के बागपत से आए वरुण तोमर ने 221.7 के अंतिम स्कोर के साथ कांस्य पदक जीता। एक ही इवेंट में दो भारतीय शूटर्स का पोडियम फिनिश करना भारतीय निशानेबाज़ी के बढ़ते दबदबे को दर्शाता है। सम्राट राणा ने जूनियर स्तर पर सफलता हासिल करने के बाद अब सीनियर स्तर पर भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा दिया है।
जीत पर सम्राट राणा की प्रतिक्रिया
शूटिंग वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद युवा शूटर सम्राट राणा ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, "मुझे अभी तक भरोसा नहीं हो रहा है। मुझे लगता है कि मेरे लिए ये जगह (कैरो) काफी अच्छी रही है। मैं जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप 2022 में भी कैरो में इसी जगह पर दो मेडल जीता था। मुझे ये जगह पसंद है।" उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपनी एकाग्रता को दिया। उन्होंने कहा, "मैं अपनी तकनीक पर फोकस करने और हर शॉट सही तरह से लगाने की कोशिश कर रहा था।"
मेडल टैली में भारत की स्थिति मजबूत
सम्राट राणा के ऐतिहासिक स्वर्ण पदक की बदौलत, ISSF वर्ल्ड चैंपियनशिप इवेंट की मेडल टैली में टीम इंडिया दूसरे स्थान पर आ चुकी है।
मेडल टैली की स्थिति:
| रैंक |
देश |
कुल पदक |
स्वर्ण |
रजत |
कांस्य |
| 1 |
चीन |
12 |
6 |
4 |
2 |
| 2 |
भारत |
9 |
3 |
3 |
3 |
भारत ने इस वर्ल्ड चैंपियनशिप टूर्नामेंट में अब तक कुल 9 पदक (तीन गोल्ड, तीन सिल्वर और तीन ब्रॉन्ज) अपने नाम किए हैं। चीन 12 पदकों के साथ पहले पायदान पर बना हुआ है। चूंकि अभी कुछ इवेंट बाकी हैं, भारतीय दल के पास चीन को पीछे छोड़कर पहले पायदान पर जगह बनाने का मौका है। सम्राट राणा की यह ऐतिहासिक जीत निश्चित रूप से टीम के अन्य सदस्यों का मनोबल बढ़ाएगी और उन्हें आगामी स्पर्धाओं में बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित करेगी। भारतीय निशानेबाज़ी के लिए यह स्वर्ण पदक भविष्य में होने वाले ओलंपिक और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए एक शानदार संकेत है।