पाकिस्तान की राजनीति और सैन्य शक्ति संतुलन में एक बड़ा बदलाव लाते हुए, संसद के उच्च सदन सीनेट ने सोमवार को विवादास्पद 27वें संवैधानिक संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक के तहत देश में चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (Chief of Defence Forces) नाम से एक नया शक्तिशाली पद सृजित किया जाएगा और साथ ही एक अलग संवैधानिक न्यायालय (Constitutional Court) की स्थापना की जाएगी। सरकार के पास निचले सदन नेशनल असेंबली (NA) में पर्याप्त बहुमत होने के कारण, यह बिल मंगलवार को पेश होते ही आसानी से पारित हो जाएगा। राजनीतिक विश्लेषक इसे आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर की शक्ति में अभूतपूर्व वृद्धि और एक तरह का 'साइलेंट तख्तापलट' मान रहे हैं, जो उन्हें सरकार और न्यायपालिका से भी ऊपर स्थापित कर सकता है।
मुनीर ने खुद को बनाया 'सर्वशक्तिमान'
इस संशोधन विधेयक को कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने सीनेट में पेश किया। सरकार और उसके सहयोगी दलों ने दो-तिहाई बहुमत (64 वोट) से इसे पारित करवाया, जिसमें विपक्षी दल के दो सदस्यों का समर्थन भी मिला। संशोधन विधेयक के मुख्य प्रावधान, जो जनरल मुनीर की शक्ति बढ़ाते हैं: राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर सेना प्रमुख (Army Chief) और चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज की नियुक्ति करेंगे। बिल के कानून बनते ही, जनरल मुनीर चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज के भी प्रमुख बन जाएंगे। मुनीर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से परामर्श कर नेशनल स्ट्रैटेजिक कमांड के प्रमुख की नियुक्ति करेंगे, और यह प्रमुख अनिवार्य रूप से पाकिस्तानी सेना से होगा।
सरकार को सशस्त्र बलों के अधिकारियों को फील्ड मार्शल के पद तक पदोन्नत करने का अधिकार मिलेगा। बिल में प्रस्ताव है कि फील्ड मार्शल का पद और विशेषाधिकार आजीवन होंगे, यानी वह अपने जीवन भर उस पद पर बने रहेंगे। माना जा रहा है कि मुनीर ने इस संशोधन के जरिए खुद को जीवन भर फील्ड मार्शल बनाए रखने का इंतजाम कर लिया है। इन प्रावधानों से यह स्पष्ट है कि जनरल मुनीर अब पाकिस्तान के राजनीतिक और सुरक्षा ढाँचे में सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बनने की ओर अग्रसर हैं, जिससे शहबाज शरीफ सरकार पर उनकी पकड़ और भी मजबूत हो जाएगी।
न्यायपालिका का विभाजन: नया संवैधानिक न्यायालय
विधेयक में एक और बड़ा बदलाव न्यायपालिका में किया गया है। बिल में संविधान से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए एक अलग संघीय संवैधानिक न्यायालय (Federal Constitutional Court) की स्थापना का प्रस्ताव है।इसके लागू होने के बाद, वर्तमान सुप्रीम कोर्ट केवल पारंपरिक दीवानी और आपराधिक मामलों की सुनवाई करेगी। इसका सीधा मतलब है कि पाकिस्तान में अब दो मुख्य न्यायाधीश होंगे—एक संवैधानिक कोर्ट का और दूसरा सुप्रीम कोर्ट ऑफ पाकिस्तान का। आलोचकों का मानना है कि संवैधानिक मामलों को सुप्रीम कोर्ट से अलग करने का यह कदम न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है।
इमरान खान की पार्टी का विरोध
सीनेट में बिल पर विभाजन के जरिए वोटिंग शुरू होते ही, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के नेतृत्व में विपक्षी सांसदों ने कड़ा विरोध किया। उन्होंने सरकार और सहयोगी दलों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और विधेयक की प्रतियां फाड़कर कानून मंत्री की ओर फेंकीं। विरोध प्रदर्शन के बाद, अधिकांश विपक्षी सांसद सदन से वॉकआउट कर गए। उनके बाहर निकलने के बाद, सरकार ने आसानी से बिल पारित करवा लिया। इससे पहले, सीनेट और नेशनल असेंबली की संयुक्त स्थायी समिति की बैठक का भी विपक्ष ने बहिष्कार किया था, जहाँ मामूली संशोधनों के साथ इस विधेयक को मंजूरी दी गई थी। अब निचले सदन नेशनल असेंबली में भी बिल का पारित होना लगभग तय है, जिसके बाद पाकिस्तान में एक नए राजनीतिक और सैन्य शक्ति युग का उदय होगा।